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बिहार
बोलने के लिए भाषण और करने के लिए विरोध…
राहुल गाँधी जहां जा रहे हैं संघ और संघ प्रमुख को साथ ले जा रहे हैं। पटना में फिर इन्होने संघ के खिलाफ गर्जना की है।
बिहार में फासले की राजनीति!
बिहार में फिलहाल सरकार कहीं नहीं जा रही है। फासले की राजनीति शुरू हो गई है, उलट-पुलट की संभावना अवश्य बढ़ गयी है।
लोकतंत्र में ऐसी संवेदनहीनता उचित नहीं
सरकार को डल्लेवाल के स्वास्थ्य की चिंता करते हुए किसान की मांग पर विचार करें क्योंकि लोकतंत्र में इतनी संवेदनहीनता उचित नहीं होती है।
नालंदा के मुख्यमंत्री से ज्यादा उम्मीद न करें
आप बिहार के राजगीर या नालंदा घूम लें। लगेगा कि बिहार का जम कर विकास हुआ है। यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गृह जिला है।
दुखवा का से कहूं
किसानो का दर्द है कि मजदूरी कर नहीं सकते लिहाजा लीज पर जमीन लेकर अपनी मर्यादा बचाने की असफल कोशिश कर रहे हैं।
बीपीएससी शिक्षकों का भौकाल
इन दिनों बीपीएससी शिक्षक अपनी हरकतों और हसरतों के कारण सुर्खियों में छाएं हुए हैं। आजकल इनका भौकाल है।
चेत-कबड्डी, गुल्ली-डंडा
गांव में कुछ खेलों का मौसम होता था और कुछ खेल सालों भर खेले जाते थे। चेत-कबड्डी, गुल्ली-डंडा, लुका-छिपी ऐसा ही खेल था।
चिकित्सा विज्ञान क्षेत्र में भोजपुरी गायकों का योगदान
भोजपुरी गायकों ने शोध और अनुसंधान कर कीर्तिमान स्थापित कर दिया है। इन दिनों सृजन और शोध का विषय ढ़ोढ़ी अर्थात नाभि है।
यह असली धर्मनिरपेक्षता नहीं है
धर्मनिरपेक्षता की समझ विकसित करने का काम स्कूली शिक्षा से शुरू की जानी चाहिए। इसके लिए शिक्षा व्यवस्था को धार्मिक प्रभाव से मुक्त रखना होगा।
ईसा, प्रकृति और तथाकथित संन्यासी
ईसा मसीह माफ करना जानते थे। यहाँ अक्सर धर्म को जानने का दावा करने वाले तथाकथित संन्यासी पाखंड परोसते रहते हैं।