खाद्य सामग्रियों में मिलावट और निरुपाय उपभोक्ता

खाद्य या पेय पदार्थों में मिलावट बदस्तूर जारी

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ब्रह्मानंद ठाकुर
उस दिन मैं गांव के एक हाट में बथुआ का साग खरीदने के लिए एक सब्जी विक्रेता की दुकान पर पहुंचा। उससे एक किलो बथुआ साग खरीदा। अचानक मेरी नजर उस सब्जी विक्रेता के निकट एक बड़ी टोकरी में रखे फूलगोभी पर पड़ी। फूलगोभी बदरंग हो चुका था। उसके फूल बिखरे हुए थे। हाथ मे उठाकर देखा तो कहीं-कहीं उसमें छोटे-छोटे कीड़े दिखाई दे रहे थे। सब्जी विक्रेता एक बुजुर्ग महिला थी। मैने उससे पूछा, यह फूलगोभी तो बिल्कुल खराब हो चुका है। इसे भला कौन खरीदेगा? मेरे इस सवाल पर उसने जो कहा, उससे मैं सोच में पड़ गया। मैंने तय कर लिया कि अब किसी नाश्ते की दुकान पर नाश्ता नहीं करूंगा। फूलगोभी की पकौड़ी तो हर्गिज नहीं खाऊंगा। इससे पहले मैं दुकान पर फूलगोभी की पकौड़ी बड़े चाव से खाता था। उस सब्जी विक्रेता ने कहा था, ऐसा ही फूलगोभी पकौड़ी बनाने के लिए दुकानदार खरीदता है क्योंकि यह उसे बहुत सस्ते में मिल जाता है। अब दूसरी आप बीती। एक दिन मैंने हाट से चना दाल खरीदा। दुकानदार ने चनादाल में खेसारी लाल मिला हुआ दे दिया। मैं वह दाल घर ले आया। बाद में मुझे बताया गया कि चना दाल में खेसारी लाल मिला हुआ है। दुकानदार मेरा परिचित था। दूसरे दिन मैंने उसे उलाहना देते हुए वह दाल उसको लौटा दिया। तब उसने मुझसे कहा था, आप नहीं जानते हैं कि चना दाल में खेसारी लाल मिलाकर बेचा जा रहा है? खैर।
यह पूंजीवाद का जमाना है। आम बोलचाल की भाषा में पूंजीवाद का मतलब ही होता है अकूत मुनाफा अर्जित करना। चाहे तरीका जो भी हो। इस अकूत मुनाफे के लिए लोग क्या-क्या नहीं करते हैं? दूध में पानी मिलाना, घी में वनस्पति तेल मिलाना तो काफी पहले से होता आ रहा है। जमाना सिंथेटिक दूध और सिंथेटिक खोआ का है।
अब तो मूंग के दाल में ढैंचा के बीज का दाल मिलाकर धड़ल्ले से बेचा जाने लगा है। फलो और सब्जियां को ताजा और आकर्षक बनाए रखने के लिए हानिकारक रसायनों के घोल का उपयोग किया जाने लगा है। जानकार बताते हैं कि कुछ ऐसे रसायन हैं जिनके घोल में सब्जियों को डूबा कर बाहर निकाल लेने के बाद सब्जी बिल्कुल तरो ताजा और चमकदार दिखने लगती है। वास्तविकता से अनजान ग्राहक ऐसी सब्जियों पर टूट पड़ते हैं। अब तो मशाला भी मिलावट से अछूता नहीं रहा। लाल मिर्च में लाल ईंट का पाउडर या लाल रंग, हल्दी में मक्का पाउडर या हानिकारक रसायन, काली मिर्च में पपीता का बीज, दालचीनी में अमरुद पेंड की छाल की मिलावट आम बात है। खाद्य-पदार्थों में मिलावट रोकने के लिए देश में कानून बने हुए हैं। इस कानून में खाद्य या पेय पदार्थों में मिलावट करने का दोषी पाए जाने वालों को 6 माह की कैद या जुर्माना या दोनों तरह की सजा का प्रावधान है। उससे क्या? मिलावट का धंधा बदस्तूर जारी है। इस मुनाफाखोर पूंजीवादी व्यवस्था ने दौलत अर्जित करने की होर में इंसान को ही इंसान का दुश्मन बना दिया है।

Adulteration of food items
ब्रह्मानंद ठाकुर

 

(ये लेखक के निजी विचार हैं। लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं
जवाबदेह है। इसके लिए Swaraj Khabar उत्तरदायी नहीं है।)
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