भागलपुर, स्वराज खबर।
अंगिका बहता नीर है, लेकिन साजिश के तहत केंद्र सरकार ने भाषा कोड नहीं दिया और अब एनसीईआरटी ने अंगिका को उसके भाषा क्षेत्र से बेदखल कर उसे मैथिली को दे दिया। इस साजिश में मैथिली के साहित्यकार शामिल हैं। अगर यही हालत रही तो अंगिका क्षेत्र में मैथिली विभाग और मैथिली की पढ़ाई को रोक दिया जायेगा। अंग वासी टकराव नहीं चाहते, लेकिन मैथिली के लोग बार बार अंगिका को अपमानित कर रहे हैं। अंग क्षेत्र के साहित्यकार, सामाजिक कार्यकर्ता और अंगिका भाषा- भाषी बेहद आहत हैं।
अंगिका के इस अपमान को लेकर कला केंद्र में साहित्यकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की एक बैठक हुई जिसमें ‘राष्ट्रीय अंगिका समन्वय समिति‘ का गठन किया गया। बैठक में साहित्यकार बहुत आक्रोशित थे। उन्होंने सर्वसम्मति से निर्णय लिया है कि पाँच सूत्री मांग के लिए 31 जनवरी को सैंडिस कंपाउंड भागलपुर के बाहर दक्षिणी हिस्से में धरना दिया जाएगा। पाँच सूत्री मांगें हैं- अंगिका को केंद्र सरकार भाषा कोड दे, एनसीआरटी अपनी किताब में संशोधन करे और अंगिका के क्षेत्र से छेड़छाड़ न करे, राज्य सरकार अंगिका अकादमी का अध्यक्ष नियुक्त करे, बीपीएससी द्वारा अंगिका शिक्षक की नियुक्ति हो और अंगिका के लिए नेट/ जेआरएफ की परीक्षा आयोजित की जाय।
राष्ट्रीय अंगिका समन्वय समिति के संयोजक डॉ योगेन्द्र चुने गए। साथ ही एक कार्यसमिति का गठन हुआ जिसमें डॉ अमरेंद्र, डॉ अनिरुद्ध विमल, डॉ मनोज मीता, सुधीर प्रोग्रामर, गौतम सुमन, शीतांशु अरुण, प्रदीप प्रभात, डॉ राधेश्याम चौधरी, देव ज्योति मुखर्जी, डॉ के के मंडल, प्राण मोहन प्रीतम, डॉ अलका सिंह, शंभु कुमार शामिल हैं। युवाओं की भी एक टीम बनाई गई जिसमें आलोक, कुमार गौरव, ललिता कुमारी, बबली कुमारी शामिल हैं। धरना के बाद अंग क्षेत्र में हस्ताक्षर अभियान और मानव शृंखला का आयोजन किया जाएगा। सभी सांसदों और विधायकों को ज्ञापन दिया जाएगा। अगर वे अंगिका के लिए आवाज बुलंद नहीं करते हैं तो उन्हें वोट नहीं देने की अपील की जाएगी।