Browsing Category
Blog
टारगेट पर शिवराज!
वादों की अनदेखी केवल क़ृषि मंत्रालय ही नहीं बल्कि सभी मंत्रालयों ने वही सब काम किया जो नहीं होना चाहिए। फिर यैसा क्यों टारगेट पर शिवराज हीं
हे बाबा, रे बाबा
मैंने सड़कों पर हे बाबा से रे बाबा की दूरी तय कर ली है। मेरा मन कबीर की तरह बेपरवाह हो चला है।
निरपेक्ष नहीं है राष्ट्रवाद की अवधारणा
छद्म राष्ट्रवाद और देशभक्ति के नाम पर असहमति के स्वर को कुचलने के प्रयासों के विरोध को राजद्रोह या गैर राष्ट्रवाद कहना सर्वथा अनुचित है।
दी साबरमती रिपोर्ट और प्रभाव
प्रधानमंत्री मोदी ने प्रधान मंत्री बनने के बाद शायद जो पहली फ़िल्म देखी है वह फ़िल्म है 'दी साबरमती रिपोर्ट'।
सुगम्य भारत अभियान: सार्वभौमिक सुगमता कार्यान्वयन
सुगम्य भारत अभियान दिव्यांग व्यक्तियों को जीवन में सक्षम बनाने के लिए सार्वभौमिक सुगमता को बढ़ाने और कार्यान्वयन का मार्ग प्रशस्त करेगा।
जब राजेन्द्र बाबू को अपनी भतीजी के विवाह में कर्ज लेना पड़ा था
राजेन्द्र बाबू दहेज प्रथा के घोर विरोधी थे लेकिन भतीजी के विवाह में दहेज़ और नगद खर्च के लिए उन्हें कर्ज लेना पड़ा था।
युवाओं की चुनौतियाँ
युवाओं को इस युग की चुनौतियाँ उन्हें निमंत्रण देती है। युवा जिस शिक्षा व्यवस्था से ट्रेनिंग प्राप्त करते हैं। क्या युवा चुनौतियों का सामना कर सकेंगे...
ईवीएम को लेकर कांग्रेस का जनांदोलन
ईवीएम को लेकर कांग्रेस का जनांदोलन लोकतंत्र को बचाने दिशा में उठाया गया एक क़दम तो ज़रूर है परन्तु हुज़ूर आते आते बहुत देर कर दी।
असम्भव है समाज में रहते हुए राजनीति से अलग रहना
जिस समाज में वह रहता है उसकी एक समाज व्यवस्था होती है। कायदे-कानून होते हैं और राजनीति ही इन सभी को नियंत्रित और संचालित करती है।
आह वैशाली, वाह वैशाली
मुख्यमंत्री नालंदा और राजगीर में जितने लगे रहे, उससे बहुत कम वैशाली में लगे। वैशाली की महत्ता उतनी तो ज़रूर है, जितनी नालंदा और राजगीर की है।