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इन दिनों
न बनें बाज या फफिन
धर्म वही बड़ा है जो मनुष्य की रक्षा करे। हमें न बाज बनना है, न फफिन। वह ज़िंदगी हीं होती है जो बाज और फफिन को जीत लेती है।
संसद की गरिमा को सांसदों ने किया तार-तार
संसद की अगर कोई गरिमा है तो आज तार-तार हुई है। लोकतंत्र के चुने हुए सांसदों के द्वारा, इस अमृतकाल में यह सब ही घटित हो रहा है।
डॉ अम्बेडकर और गृह मंत्री अमित शाह की मजबूरी
डॉ अम्बेडकर का नाम लेने से अमित शाह को अपार दुख होता है, लेकिन मजबूरी है कि वे नाम लें। वोट के लिए डॉ अम्बेडकर बहुत ज़रूरी हैं।
बीस हज़ार करोड़ का घोटाला और सीबीआई
इस राजनीति के रहते सीबीआई कुछ नहीं कर सकती क्योंकि सृजन घोटाले का बीसों साल से सीबीआई जाँच चल हीं रही है
अफ़ीम चाटिए और मस्त रहिए
यहाँ वन नेशन वन इलेक्शन चलेगा। गद्दी का मामला है। वन नेशन वन एजुकेशन नहीं चलेगा, क्योंकि जनता का मामला है।
वाह ताज का गुज़र जाना
ख़बरों में खबर यह है कि हम जो दुनिया बना रहे हैं, वह बहुतेरों के लिए रहने लायक़ नहीं है। जाकिर हुसैन और पंडित शिव कुमार से सीख लीजिए और आगे बढ़िए।
संविधान और पद-ज्ञान
संविधान में हुए अबतक के संशोधनों पर बहस होनी चाहिए थी कि ये संशोधन क्यों हुए लेकिन बहस न कर एक दूसरे पर आरोप मढ़ते रहते हैं।
संविधान, संसद और चरणचुम्बन
लोकतंत्र के मंदिर में बहस वर्तमान छोड़ अतीत की होती है। संसद में संविधान को मजाक बना रखा है।
मांदर, पुटुस के फूल और भूमिज आदिवासी
गाँव में ग़रीबी है, मगर वहां के लोग पुटुस के फुल जैसे खिले हुए और वो गावं भूमिज आदिवासियों का बाहुल्य है।
एक कथाकार का गुज़र जाना
सुधाकर जी महान कथाकार शरतचंद्र से बेहद प्रभावित थे। उन्होंने आकाशवाणी भागलपुर में लगातार अपनी कथाओं का पाठ किया।