डॉ योगेन्द्र
मैंने कल लिखा था- ‘आगे देखिए। इस देश को क्या-क्या भोगना है? ‘देश को अभी बहुत कुछ भोगना है, इसकी पहली खेप संसद परिसर में घटी घटना है। देश की जनता ने ऐसे सांसद चुने हैं जो संसद परिसर में मारपीट कर रहे हैं। किसने किसको मारा, कौन गिरा और घायल हुआ, इसका फ़ैसला स्थानीय थानेदार करेंगे। ये लोग देश चलायेंगे, अगर अब भी आपको विश्वास है तो गलती सांसदों की नहीं है। मीडिया भाँय भाँय कर रही है। फलां ने फलां को धक्का दिया, फलां फलां पर गिर पड़ा। संसद परिसर में सीसीटीवी कैमरा है। उसमें पूरी घटना दर्ज होगी। सरकार उसे क्यों नहीं दिखाती? आरोप प्रत्यारोप से काम नहीं चलेगा। कुछ दिन पहले राज्य सभा में एक सांसद की कुर्सी से पैसे निकले थे। खूब हंगामा हुआ, लेकिन जाँच नहीं हुई और आगे कुछ बताया नहीं गया। जैसे पुलवामा हुआ। चालीस नौनिहालों के परखच्चे उड़ गये। मगर वहाँ भी जाँच नहीं हुई । राज्य सभा में सीसीटीवी कैमरा है, लेकिन उस सच्चाई को न दिखायेंगे, न बतायेंगे। निशिकांत दूबे, अनुराग ठाकुर कुछ से कुछ बोल रहे हैं , लेकिन यह नहीं बता रहे कि संसद गेट को घेर कर बीजेपी सांसद क्यों थे? संसद पर क्या उनका आधिपत्य है? डॉ अम्बेडकर को लेकर विपक्षी सांसद प्रदर्शन कर रहे हैं तो उन्हें मिर्ची क्यों लग रही है? देश की जनता सचमुच सच्चाई नहीं जानती कि संसद परिसर में क्या हुआ? इतनी बात तय है कि बीजेपी और कांग्रेस सांसदों में धक्का मुक्की हुई। क्या अमृतकाल में यह सब ही घटित होगा? संसद की अगर कोई गरिमा है तो आज तार-तार हुई है।
संसद की पुरानी दीवारें तो अपनी आठ-आठ आँसू बहा ही रही है। नयी संसद की दीवारें यह सब देख कर विचलित हो गई। कैसे-कैसे धुरफंदी सांसद परिसर में घुस आये हैं। इन्हें अपनी इज़्ज़त का तो ठिकाना नहीं, संसद को भी बर्बाद करने पर तुले हैं। जनता को सावधान हो जाना चाहिए। ये लोग वैसे नहीं हैं जो अपने कहे पर टिक जायें। अंतर्राष्ट्रीय मार्केट में रुपये का भाव डॉलर की तुलना में गिरेगा तो प्रधानमंत्री की इज़्ज़त गिरती जायेगी। प्रधानमंत्री ने कहा था। आज भी रूपए का भाव गिर रहा है, लेकिन प्रधानमंत्री की इज़्ज़त पर आँच नहीं आ रही। काले धन लाकर सभी ग़रीबों के ख़ज़ाने में पंद्रह लाख देने थे, लेकिन छदाम तक नहीं दिया। भ्रष्टाचार पर कोई समझौता नहीं और अब भ्रष्टाचारी को ही शरण दे रखा है। जो कहते हैं, वे तो नहीं हीं करेंगे और जो नहीं कहते हैं, वे जरूर करेंगे। संसद की सीढ़ियों पर पेटकुनिया देकर अंदर पहुँचे थे। अब संसद से ही पेटकुनिया दिलवा रहे हैं। अतिरिक्त भक्ति बहुत ख़तरनाक होती है। ऐसे लोग अपने भगवान को भी नहीं छोड़ते। जहाँ भी ऐसे भक्त दिख जाएँ। आप सावधान हो जायें। मनमोहन सिंह पर कितने भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गये। लेकिन सत्ता में आने के बाद सिद्ध करने का अवसर आया तो उन्होंने कुछ भी सिद्ध नहीं किया। जनता ने पूछा नहीं कि उन आरोपों का क्या हुआ? क्यों सिद्ध नहीं हुआ? हिमन्त बिश्व शर्मा पर बीजेपी ने आरोपों की झड़ी लगा दी और फिर उन्हें मुख्यमंत्री बना दिया। अभी वे उनके प्यारे दुलारे बने बैठे हैं। राजनीति का पानी किधोर हो गया है। जनता को नये सपने और नया अभिक्रम करना चाहिए।
(ये लेखक के निजी विचार हैं। लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है। इसके लिए Swaraj Khabar उत्तरदायी नहीं है।)