डॉ योगेन्द्र
कहावत यों ही नहीं बनती, मनुष्य के वर्षों के अनुभवों का निचोड़ से बनती है, इसलिए वर्षों पुरानी कहावतें आज भी सटीक बैठती हैं। ऐसी ही एक कहावत है- ‘अपने घर शीशे के हों तो दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं फेंकते।’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अरविंद केजरीवाल पर ‘पत्थर’ फेंका और वे पत्थर अब प्रधानमंत्री पर गिरने लगे हैं। जनता के लिए अच्छा तमाशा है। वह अब दिल्ली की समस्याओं को भूल चुकी है और शीशमहल और राजमहल की झाँकी देख रही है। अरविंद केजरीवाल ने 2013 में कहा था कि मुझे गाड़ी- बंगला नहीं चाहिए। उन्होंने वही सब किया जो अन्य मुख्यमंत्री करते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरेआम घोषणा की थी कि वह चाय बेच कर प्रधानमंत्री कुर्सी तक पहुँचा और अमेरिका के राष्ट्रपति की तरह की सुविधाएं अपने लिए बटोर ली। आठ हजार चार सौ करोड़ का प्लेन और उनके साथ चलने वाली दो दो करोड़ की छह गाड़ियाँ। आप सांसद संजय सिंह ने कहा है कि उनके 6700 तो जूते हैं। महंगे पेन, चश्मे, कपड़े तो हैं ही। उनके राजमहल के सभी सामानों की सूची जारी कर कीमत बतायी है। उधर केजरीवाल पर आरोप लगा कि उनके कमोड सोने के बने हैं और शराब पीने के लिए एक मिनीवार है। सोने के कमोड वाली बात पचती नहीं है। अच्छा हुआ कि आम आदमीं पार्टी के नेताओं ने प्रेस को लेकर सोने का कमोड ढूँढने मुख्यमंत्री आवास पहुँचे, लेकिन उन्हें जाने नहीं दिया गया। मेरी इच्छा है कि शीशमहल और राजमहल की सच्चाई देश के सामने प्रस्तुत हो। जनता जाने कि एक चाय बेचनेवाला कितनी गरीबी में दिन गुजार रहा है और एक झूठे वादे करनेवाला कितनी ऐयाशी से रह रहा था।
हिंदू धर्म जरूर कहता होगा कि मनुष्य को सच बोलना चाहिए, लेकिन झूठ बोलने वाले ही हिंदू धर्म के रक्षक बोल कर देश के सामने आयें तो उस धर्म का क्या होगा, यह आप सोच सकते हैं। जिस देश के युवा रोजगार के लिए तरस रहे हैं, वहाँ प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री बेतहाशा फिजूलखर्ची करे, यह बर्दाश्त के काबिल नहीं है। प्रधानमंत्री बिना रुकावट के हवाई अड्डे पहुँच सकें, इसके लिए सुरंग बनायी गई जिसकी लागत 2300 करोड़ रुपये थी। क्या यह जनता के साथ भद्दा मजाक नहीं है? एक प्रधानमंत्री के लिए कितनी सुविधाएँ चाहिए? कभी तमिलनाडु के मुख्यमंत्री जयललिता के घर में सैकड़ों जोड़े जूते-चप्पल आदि दिखाये गए थे। अब तो आम बात है। राजनीति में कितनी बेशर्मी है, इसका ताजा प्रमाण है बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा का प्रेस कांफ्रेंस। वे सीएजी की उस रिपोर्ट को लेकर प्रेस कांफ्रेंस किया जो जारी तक नहीं हुई है और वे कह रहे हैं कि रिपोर्ट जारी हो गई है। सीएजी रिपोर्ट का एक गंदा खेल अरविंद केजरीवाल ने भी 2013 में खेला था। महालेखाकार विनोद राय ने रिपोर्ट दी थी कि मनमोहन सिंह की सरकार ने भारी घपला किया है। उसे लेकर पूरे देश में अभियान चला और कांग्रेस सरकार को जाना पड़ा। आज तक तथाकथित उस रिपोर्ट के आधार पर न किसी को सजा मिली, न प्राथमिकी दर्ज हुई। अब अरविंद केजरीवाल को उसी दुश्चक्र में फँसाने की कोशिश हो रही है। मजा यह है कि अभी तक किसी भी मुख्यमंत्री के आवास की सीएजी रिपोर्ट नहीं आई है। मेरी देश की जनता की ओर से मांग है कि लगे हाथ भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्रियों के आवास की भी सीएजी रिपोर्ट आ जाए। देश की जनता को यह जानने का हक है कि उसके प्रतिनिधि आखिर देश की गाढ़ी कमाई का कैसा इस्तेमाल करते हैं?
(ये लेखक के निजी विचार हैं। लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है। इसके लिए Swaraj Khabar उत्तरदायी नहीं है।)