दिल्ली चुनाव का पूर्वी राग!

पूर्वांचल के लोगों को केजरीवाल के बीजा की जरुरत नहीं

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People of Purvanchal in Delhi elections
बाबा विजयेन्द्र (स्वराज खबर, समूह सम्पादक)

आप नेता संजय सिंह ने पूर्वांचल के सवाल पर भाजपा द्वारा चलाये जा रहे अभियान को बात का बतंगर बताया। उन्होंने कहा कि फर्जी वोटर का सवाल एक वाजिब सवाल है जिसे केजरीवाल ने उठाया है। जो भी हो पूर्वी राग पर रार ठन गया है। दिल्ली में रह रहे प्रवासियों को लेकर कांग्रेस भी अपमानित करने से बाज नहीं आयी थी। शीला दीक्षित का बयान भी हम सबको याद है।
“एक बिहारी, सौ बीमारी की तरह है। ये दिल्ली के लिए बोझ बनते जा रहे हैं। पांच सौ रुपया का टिकट लेकर आते हैं और पांच लाख का ईलाज करा कर चले जाते हैं। दिल्ली की चमक के लिए इनकी पोटली-चोटली ठीक नहीं.” यह बयान था आप के संयोजक केजरीवाल का। यह बहुत ही अपमानजनक और शर्मनाक बयान था पूर्वांचल के लोगों के प्रति जो अपमान का भाव पहले था, वह आज भी मौजूद है। किसी न किसी बहाने वह बाहर निकलता है।
चुनाव का वक्त है। कोई भी बयान आग की तरह फैलता है। वही हुआ भी। भाजपा का कहना है कि इनके पुराने और नये बयान हमारे लिए क्या, सबों के लिए अपमान का विषय है। हम दिल्ली में हैं, किसी दमिश्क में नहीं। केजरीवाल के बीजा की जरुरत नहीं है पूर्वांचल के लोगों को। दिल्ली इनकी है जिन्होने दिल्ली को दिव्यता देने के लिए अपना दिल लगाया है।
9 जनवरी के प्रवासी-दिवस पर केजरीवाल का जो नया बयान है वह है बिहार, उत्तर प्रदेश और शेष भारतीयों को फर्जी वोटर बताना! दिल्ली में रह रहे बिहार और उत्तर प्रदेश के लोगों की देशभक्ति पर यह सवाल है। घुसपैठियों को मतदाता सूचि में शामिल करने और कराने के लिए संघर्ष करने वाली आम आदमी पार्टी अपने ही देशवासी को फर्जी करार दे, यह बहुत ही अफसोसजनक है।
दिल्ली है हम सबकी, नहीं किसी के बाप की। दिल्ली में रह रहे पूरे देश से आये हुए लोग भी पूर्वांचली के रूप में ही जाने जाते है। दिल्ली के हर प्रवासी पूर्वांचली ही हैं। यहां जो बाहरी है वह बिहारी है। जिसे केजरीवाल ने बीमारी कहा, वे अब इनके ऊपर भारी पड़ने वाले हैं।
केजरीवाल का यह केवल चुनावी बयान भर नहीं है, यह भारत के खिलाफ दुनियां में चल रहे गहरे षड्यंत्र का हिस्सा है। भारत के इतिहास को खारिज कर इसे दुनियां के सामने कमतर करने की कबायद है। इन्होने गाँधी को खत्म करने के लिए नकली स्वराज लिखा ताकि असली स्वराज को देश भूल सके। टोपी पहनकर पूरे देश को टोपी पहनाना, उनकी सादगी को सवाल बनाना एक सियासी खेल का हिस्सा है।
प्रवासी दिवस पर ही प्रवासियों के लिए ऐसा बयान क्यों?
प्रवासी को लेकर केजरीवाल का बयान तब आया जब पचास देश के प्रवासी लोग भारत आये हुए हैं। 9 जनवरी को केजरीवाल के बयान सामने आये क्योंकि इसी दिन गाँधी दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे थे। इसके मायने को समझना भी जरूरी है।
इस दिन को देश प्रवासी दिवस के रूप में मनाता है। प्रवासी दिवस पर केजरीवाल का प्रवासी को लेकर जो बयान आया है उसके निहितार्थ को समझना जरूरी है। मोदीजी क्योंकि प्रवासी का सम्मान करने, देश के विकास के साथ जोड़ने के लिए उडीसा गए।
दुनियां में भारत का मान नहीं बढे और इस दिवस को लोग याद न कर सके। यह बापू के आगमन का अपमान है। कम से कम इस दिवस पर प्रवासी के प्रतिष्ठा को अप्रतिष्ठा से नहीं जोड़ते?
यह मैगससे फैक्ट्री से मिलावटी माल को हिंदुस्तान में खपाने की कबायद जारी है। गांव गली के लोग गाली का पात्र बने। ये लोग कभी कहीं का लीडर नहीं बन पाए, इसी लिए तो सत्ता-बाजार में मैगससे का अनेक प्रोडक्ट चल रहा है। यह बहुत ही शातिर बयान है, सभ्य और संसदीय तो विल्कुल नहीं।
गांवों से आये लोग दिल्ली में याचक बनकर रहे, नेताओं के बयान और व्यवहार से तो यही पता चलता है। दिल्ली देश का दिल है, बिजली पानी का बिल भर नहीं है। इतनी क्षमता है इनके पास कि अपने लिए सबकुछ कर सकते हैं। जो दिल्ली को भव्यता दे रहा हो उसे दीनता और हीनता प्रदान करना अनैतिक और अमानवीय कृत्य है।

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