डॉ योगेन्द्र
एलन मस्क की एआई ग्रोक में बहुत लोग झूल गए हैं। उस पर पोस्ट कर और उसके जवाब पाकर फेसबुक पर डाल रहे हैं। कोई कह रहा है कि इससे बीजेपी के आईटी सेल का भट्ठा बैठ गया है।
बिल गेट्स की चैटजीपीटी अभी शांत नजर आती है। चीन का डीपसीक अभी जीवन का हिस्सा नहीं बना है, लेकिन एक बात है कि एआई से आप मुख नहीं चुरा सकते। आप यह कह कर कि साम्राज्यवादी लोगों ने इसे हवा दी है और वह इसके माध्यम से राज कायम करना चाहता है, इससे पीछा नहीं छुड़ा सकते। आपने अपने फोन में मेटा पायेंगे। फेसबुक से यह जुड़ा है। आप सोशल मीडिया पर गये कि एआई काम करने लगती है। यूट्यूब पर कुछ आप देखिए। किसी पर नजर आपकी ठहर गई, बस। आप देखेंगे कि उसी तरह के कई वीडियो आपके समक्ष प्रस्तुत है। वह आपके दिमाग को जज कर लेता है। आपको स्मार्ट बनना है तो स्मार्ट फोन छूट नहीं सकता और जब स्मार्ट फोन छूट नहीं सकता तो एआई भी आपको छोड़ नहीं सकती। फोन ही नहीं, आपके घर में इलेक्ट्रॉनिक जितने सामान हैं, उसके माध्यम से आपके घर में एआई सेंध लगा रही है। टेलिविजन को हम लोग इडियट बॉक्स कहते थे, लेकिन यह इडियट बॉक्स हरेक के घर दाखिल हो गया। नहीं चाहते थे, लेकिन आया और जोर से आया। कंप्यूटर का ईजाद हुआ। कंप्यूटर कैसे-कैसे नौकरियाँ खा जायेंगी, इसका विवेचन हुआ, लेकिन इससे भी हम परहेज नहीं कर सके। अब एआई टूल है। इससे हम पीछा नहीं छुड़ा सकते।
ग्रोक पर प्रश्न पूछ-पूछ कर जो उत्तर मिल रहे हैं, उन्हें सोशल मीडिया पर न केवल पोस्ट कर रहे हैं, बल्कि वीडियो बनाकर प्रचारित कर रहे हैं। एक बात समझ में नहीं आयी। जिस वक्त एलन मस्क की कंपनी स्टार लिंक से हाथ मिलाने के लिए एयरटेल और जियो बेसब्र है, उस वक्त ग्रोक का जलवा क्यों है? स्टार लिंक से एयरटेल और जियो का मिलाया हाथ तभी स्वीकृति पायेगा, जब नरेंद्र मोदी की सरकार अपना मुहर लगायेगी। ग्रोक नरेंद्र मोदी और उसकी सरकार की पोल खोल रही है। कहीं यह अतिरिक्त दबाव या घेराबंदी तो नहीं है, जिसके आतंक से नरेंद्र मोदी की सरकार तुरंत झुक जाये। मुझे तो पक्का विश्वास है कि यह तात्कालिक रूप से नरेंद्र मोदी पर दबाव बनाने की साजिश है। जब यह दोस्ती पक्की हो जाएगी तो ग्रोक भी सुधर जाएगा। दुनिया में बहुत तरह के खेल हो रहे हैं। हमें एआई की उत्पत्ति, उपयोगिता और वजहों को ठीक से जानना चाहिए। एआई आनेवाले दिनों में एक मजबूत ताकत होगी और बहुत कुछ बदलेगी। वह हमारे घरों की हर चीज से अवगत होगी और मन में प्रवेश कर उसे अपने मालिक के लायक बनाने की कोशिश करेगी। इसके पास अपार क्षमता है। मैंने हरारी की किताब ‘नेक्सस‘ को उल्टा पुल्टा। उसमें लिखा है कि एआई के माध्यम से एक ऐसा संसार भी संभव है जो अमानवीय बुद्धि द्वारा संचालित हो। अगर ऐसी संभावना है तो मानवीय बुद्धि और संसार पर एक गहरा संकट है। दुनिया में यह भी पहली बार हो रहा है कि सरकारों से ज्यादा पूँजीपतियों की चर्चा हो रही है। सरकार से ज्यादा कंपनियाँ मजबूत हो रही हैं। आने वाले दिन अच्छे होंगे या बुरे, इस पर मानव समाज को सोचते रहना चाहिए।

(ये लेखक के निजी विचार हैं। लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है। इसके लिए Swaraj Khabar उत्तरदायी नहीं है।)