भागलपुर।
अंगिका के मान-सम्मान और अधिकार के लिए राष्ट्रीय अंगिका समन्वय समिति के द्वारा धरना दिया गया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पूरे तामझाम के साथ अंग की धरती पर कदम रख रहे हैं। प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद है और उनसे अंगवासियों का सवाल है कि उनकी भाषा के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार क्यों किया जा रहा है? अंग क्षेत्र को मिथिला क्षेत्र क्यों बताया जा रहा है? क्या अंग की भाषा और संस्कृति के साथ खिलवाड़ नहीं है? आपके कार्यकाल में अंगिका अकादमी बनी, वह लुंज पुंज क्यों है और उसका अध्यक्ष क्यों नहीं है? अंगिका पढ़े लिखे छात्र- छात्राएँ भटक रहे हैं, क्योंकि बीपीएससी इसके लिए कोई रिक्तियाँ नहीं निकाल रही। भारत सरकार के पास आपकी सरकार ने यह सूचना नहीं भेजी कि अंगिका एक महत्वपूर्ण भाषा है और इसे एक कोड मिलना चाहिए। करोड़ों लोगों की भावनाओं के साथ खेल कर आप राजकाज नहीं चला सकते।
आज के धरने का साफ संदेश है कि अंगवासी अंगिका की उपेक्षा बर्दाश्त नहीं करेंगे।
उनकी फिलहाल पाँच मांगें हैं-
केंद्र सरकार अंगिका के लिए भाषा कोड निर्गत करे, एनसीआरटी अपनी पुस्तक में संशोधन करे जिसमें अंग क्षेत्र को मिथिला में शामिल किया है, राज्य सरकार अंगिका अकादमी का अध्यक्ष नियुक्त करे, बीपीएससी द्वारा अंगिका शिक्षक की बहाली हो और यूजीसी अंगिका में नेट / जेआरएफ की परीक्षा करे।
आज मुख्यमंत्री को ज्ञापन देने जायेंगे। आगामी कार्यक्रम के लिए 2 फरवरी को एक आम बैठक बुलाई जाएगी।
धरना स्थल पर डॉ अमरेंद्र, सुधीर प्रोग्रामर, डॉ मनोज मीता, त्रिलोकी नाथ दिवाकर, देवज्योति मुखर्जी, शीतांशु अरुण, प्रसून लतांत, गौतम गर्जना, सत्यनारायण मंडल, सौरभ, गौरव, डॉ मनोज, डॉ अलका सिंह, डॉ उमेश नीरज, ललिता, नवज्योति, शंभु कुमार, सनोज कुमार, गौतम कुमार सुमन, किंशुक आनंद, नवनीत आनंद, पवन कुमार, शशिभूषण सिंह, सकलदेव सिंह, कृष्ण किंकर मंडल, अंगिका राय, प्रभाकर संजीत, बबीता, आनंद किशोर, सुधीर यादव आदि अनेक साथी सम्मिलित थे।