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बिहार
सत्ता की बदनाम गली में भटकता नीतीश कुमार
नीतीश कुमार की उम्र चौहत्तर की हो गई है। चौहत्तर से नीतीश कुमार का गहरा संबंध है। चौहत्तर आंदोलन के प्रोडक्ट के रूप में ही ये ख्यात रहे हैं। इसी साल चुनाव होना है। इनके अभूतपूर्व मुख्यमंत्री होने की संभावना बहुत थी, पर ये भूतपूर्व होके…
बिहार में क्लासिकल-करप्शन!
करप्शन के आरोपों की बुनियाद पर राजग की सरकार बनी और आज उसी बुनियाद पर सरकार कलंकित भी हो रही है।
सवाल दर सवाल है, हमें जवाब चाहिए
बिहार में चुनाव-यज्ञ शुरू हो गया है, बिना खोए हर कोई पाने की लालसा लिए बैठा है।
कांवड़-यात्रा का कृष्णपक्ष
कांवड़ियों द्वारा निर्दयता पूर्वक वाहन चालकों और यात्रियों की पिटाई की गयी।
जाति प्रथा और जातिवादी राजनीति
राजनीति में जातीय समीकरण की बात कोई नई नहीं है। आजादी के बाद से ही जातिवाद व जातिवादी राजनीति इस देश के लिए नासूर बना हुआ है।
जहाँ गंदगी व दुर्गन्ध कोई मुद्दा ही नहीं
बिहार अक्सर गंभीर संक्रामक रोगों की चपेट में आ जाता है फिर भी कभी किसी चुनाव में गंदगी व दुर्गन्ध कोई मुद्दा नहीं बन पाता।
हुनरमंदों के मालिक से मजदूर बन जाने की दास्तान
कुछ प्राकृतिक आपदाओं के कारण तो कुछ आर्थिक और राजनीतिक नीतियों के कारण मालिक से मजदूर बन जाने की दास्तान।
फिर आया है पल्टीमार मौसम
चुनाव लड़ने को इच्छुक प्रत्याशी दल के भीतर अपनी हैसियत भांप टिकट मिलने की सम्भावना को देखते हुए पल्टीमार राजनीति शुरू कर देते हैं
कुत्तों की एकजुटता का संदेश
पूंजीवादी व्यवस्था शोषितों की एकता में बड़ी बाधा है। वहीं धरती का निकृष्टतम जीव कुत्ता आज भी एकजुटता का संदेश देती है।
आजाद देश में गुलाम किसान
पहले बीज किसानों के पास होता था, अब पूँजीपतियों के पास है। नतीजा है कि आजाद देश में किसान गुलाम होती गई।