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टीवी और समाचार पत्रों में गौशाला की भूमिका

भारत में गौशालाएँ केवल धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि वे सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण संस्थान मानी जाती हैं। इनकी भूमिका को समाज तक पहुँचाने और जनमानस में जागरूकता पैदा करने में टीवी और…

कृष्णायन की एक दिनचर्या: कैमरे की नजर से

हरिद्वार स्थित कृष्णायन गौशाला आज सिर्फ एक गौशाला नहीं, बल्कि गोसंरक्षण और ग्रामीण सतत विकास का जीवंत केंद्र बन चुकी है। यहाँ गायों की सेवा और देखभाल को एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक साधना माना जाता है। यदि कैमरे की नजर से कृष्णायन की एक…

गौ-रक्षा बनाम गौ-सेवा: सही रास्ता कौन सा?

भारत की संस्कृति और परंपरा में गाय का स्थान सदैव पवित्र और सम्मानित रहा है। गाय को केवल दूध देने वाले पशु के रूप में ही नहीं, बल्कि ग्रामीण जीवन, कृषि और आस्था का आधार माना जाता है। लेकिन आज जब समाज और राजनीति में "गौ-रक्षा" और "गौ-सेवा"…

भारतीय संविधान और गौसंरक्षण

भारत में गाय को न केवल एक धार्मिक और सांस्कृतिक प्रतीक के रूप में देखा जाता है, बल्कि यह ग्रामीण जीवन और कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था की रीढ़ भी है। भारतीय संविधान में भी गौसंरक्षण से संबंधित प्रावधान शामिल किए गए हैं, जो इसकी महत्ता को दर्शाते…

संकट में गायों को बचाने की सच्ची घटनाएँ

भारतीय संस्कृति में गाय को ‘माता’ का दर्जा दिया गया है। प्राचीन काल से लेकर आज तक गौसेवा का महत्व सिर्फ धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से भी बड़ा रहा है। समय-समय पर प्राकृतिक आपदाओं, सड़क दुर्घटनाओं और कठिन परिस्थितियों में…

गाँव की महिलाओं का योगदान गौसेवा में

भारतीय ग्रामीण समाज की रीढ़ महिलाएँ हैं। घर-परिवार की जिम्मेदारियों के साथ-साथ वे कृषि, पशुपालन और समाज सेवा में भी अहम भूमिका निभाती हैं। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण और आध्यात्मिक दृष्टि से ऊँची सेवा है गौसेवा। गाँव की महिलाएँ न केवल अपनी…

पशु चिकित्सक की डायरी: गायों से जुड़ी भावुक यादें

पशु चिकित्सक का जीवन सिर्फ एक पेशा नहीं, बल्कि भावनाओं, संवेदनाओं और करुणा से भरी हुई एक सतत यात्रा है। खासकर जब यह गायों जैसे निरपराध और भावनात्मक पशुओं से जुड़ा हो, तो हर दिन कुछ नया अनुभव और यादें लेकर आता है। गायों के साथ बिताया हर पल…

गायों ने कैसे दिया वृद्धों को नया उद्देश्य?

भारतीय संस्कृति में गाय केवल एक पशु नहीं, बल्कि जीवन का आधार मानी जाती है। आज जब आधुनिक जीवनशैली और परिवार संरचना बदल रही है, तब समाज के वृद्ध लोग अक्सर अकेलेपन और निराशा से जूझते हैं। इस बीच गायों के साथ जुड़ाव ने उनके जीवन को नई दिशा और…

एक साधक की यात्रा: गौशाला से समाधि तक

भारतीय संस्कृति में साधना, गौसेवा और आत्मिक विकास एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं। इतिहास और परंपरा हमें यह सिखाते हैं कि आत्मिक शांति और ईश्वर की प्राप्ति केवल जंगलों और हिमालय की गुफाओं में ही नहीं, बल्कि सेवा, करुणा और समर्पण से भी…

गोसेवा से जीवन बदलने वाले स्वयंसेवकों के अनुभव

भारत में प्राचीन काल से ही गौसेवा को श्रेष्ठ सेवा माना गया है। गौशालाओं में जाकर स्वयंसेवा करने वाले अनेक लोग बताते हैं कि यह अनुभव न केवल सामाजिक योगदान देता है, बल्कि उनके व्यक्तिगत जीवन में भी सकारात्मक परिवर्तन लाता है। गाय की सेवा केवल…