डॉ योगेन्द्र
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में कुल 30, 573 झूठ बोले थे। यानी प्रति दिन 21 झूठ। सीएनएन के मुताबिक ट्रंप ने नये कार्यकाल के पहले दिन 20 झूठ बोले। यानी पहले कार्यकाल से एक कम। ट्रंप में लगता है कि हिटलर की आत्मा घुस आई है। वर्षों से वह भटक रही थी। उसे एक मुकम्मल ठिकाना मिल गया। विश्व को परेशान करने के लिए यह काफी है। ट्रंप महोदय ने कहा है कि ब्रिक्स देशों पर सौ प्रतिशत आयात शुल्क लगायेंगे। ब्रिक्स देशों में भारत भी शामिल है। मजेदार बात यह है कि पूरी दुनिया की आबादी में ब्रिक्स देशों की भागीदारी सत्तर प्रतिशत है। देश को आजकल अमीर चलाते हैं। अमीरों यानी पूँजीपतियों का एक समूह देश पर राज करता है। राजनेता लगभग मुखौटे की तरह हो चले हैं। देश के अंदर पूँजीपतियों के चेहरे जैसे चमकते हैं और जनता की चेहरे पर उदासी छाई रहती है, उसी तरह विश्व में अमीर देशों के चेहरे चमकते हैं और निर्धन देश उनकी चमचागिरी में लगे रहते हैं। ट्रंप की नीतियों की कठोर आलोचना होनी चाहिए। अमेरिका फर्स्ट वे नहीं कर रहे। विश्व में दुश्मनी का बीजारोपण कर रहे हैं। हिटलर ने देश के अंदर यहूदियों को पीटा और फिर विश्व जीतने चला। वैसे ही कुछ देशों के अंदर अल्पसंख्यकों की पिटाई हो रही है। और उनके मन में विश्व विजेता होने का ख्वाब पल रहा है। करोड़ों लोगों को अमेरिका से निकालने की तैयारी चल रही है। 18 लाख तो भारतीय बच्चे हैं। देश में आँख मूँदे रहे तो झूठ बोलने में जिन्हें महारत हासिल है, वे सिर पर बैठे महंगे चश्मे, महंगे लिबास, महंगे हवाई जहाज, महंगी कारों में ऐय्याशी भी करते हैं और उनके लोग नंगे फकीर तक को गाली देने से नहीं चूक रहे।
हमें बड़बोले लोगों से देश को बचाना है। ये लोग सिर्फ बातों के सम्राट होते हैं। इन्हें बात बदलने में देर नहीं लगती। जैसे ट्रंप अभी बौख रहे हैं। वैसे ही अपने वाले भी बातों की पहलवानी कर आये थे और एक शाम टेलिविजन पर नमूदार हुए और हजार रुपये के नोट अमुक तारीख से बंद और दो हजार के नोट चालू। रंग बिरंगे दो हजरिया नोट। एक हजार के नोट इसलिए बंद किए गये, क्योंकि उन्होंने कहा कि इससे काले धन की बीमारी खत्म होगी। लोगों ने भरोसा किया। दुख सहे। कोई बैंक की लाइन में लग कर देश के लिए जान दे दी। कोई इलाज में पैसे नहीं जुटे, इसलिए चल बसे। किसी की बेटी अनब्याही रह गई। बाद में पता चला कि काले धन का कुछ नहीं हुआ। हाँ, बहुतेरे के काले धन सफेद हो गये। टेलिविजन पर कितना झूठ परोसा गया था कि दो हजार के नोट में एक चिप्स लगी है। इस नोट को धरती के नीचे गाड़ देने पर भी चिप्स के माध्यम से पता चल जाएगा। यह कितना बड़ा फ्रॉड था। प्रधानमंत्री सहित सभी लोग जानते थे कि ऐसा कुछ नहीं है, लेकिन किसी ने इसका प्रतिरोध नहीं किया और जिसने किया, उसे बेवक़ूफ माना गया। झूठ को फलने -फूलने के लिए इन लोगों ने खाद-पानी तक मुहैया करवाया। देश में फर्जी राष्ट्रवाद की धूम मची। ट्रंप और मोदी के चुनावी भाषण लगभग एक ही तरह के हैं। फर्जी राष्ट्र गौरव पैदा कर देश को ठगना। ऐसे लोग सिर्फ अपने अहंकार और गौरव के लिए जीते हैं। राष्ट्र तो इनके लिए एक टूल मात्र है।

(ये लेखक के निजी विचार हैं। लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है। इसके लिए Swaraj Khabar उत्तरदायी नहीं है।)