बाबा विजयेन्द्र
अमेरिका का ‘गधा’ हार गया, यह कहना उचित नहीं है, पर अमेरिका में ‘गधा‘ अवश्य हार गया है। राष्ट्रपति के चुनाव में डेमोक्रेट कमला हैरिस नापसंद हो गयी है। कमला उन तमाम जगह से भी पिछड़ गयी जहाँ कभी डेमोक्रेटों का बोलबाला हुआ करता था। पिछले चुनाव में बाइडेन की जीत में इन क्षेत्रों की बड़ी भूमिका रही थी। आखिर ट्रम्प का कौन सा कार्ड चल गया जिसके कारण उनकी जीत हुई। तमाम अमेरिका के उपनगरों में भी कमला की स्थिति अच्छी नहीं रही। कमला हैरिस ने शोषित पीड़ितों की आवाज बनने की भरसक कोशिश की। पर उन शोषित पीड़ितों का वह भरोसा नहीं जीत पायी। कमला हैरिस का चुनाव-चिन्ह गधा था। गधा का चुनाव-चिन्ह होना एक बड़ी कहानी है। इस कहानी को लिखने के बजाय हम यहाँ गधा के मूल चरित्र पर ही बात करना चाहेंगे। गधा दुनिया का एक अपमानित नाम है। यह बेचारा है। गधा का उपयोग कर लोग इन्हे बेसहारा छोड़ देते हैं। श्रम के बदले इन्हे उचित चारा भी नसीब नहीं होता है। गधा पूरी जिंदगी बेचारा बना रह जाता है।
दुनिया के लोकतंत्र की स्थिति भी इस गधे की तरह ही है। चुनाव के वक्त ही जनता जनार्दन होती है। चुनाव के ख़त्म होते ही वही जनता नेताओं के चरणों का दास हो जाती है। जीत किसी की भी होती रहे, पर लोकतंत्र हारता रहता है। हाथी की जीत हुई है। ट्रंप के इस विजयी हाथी को हिंदुस्तान अपना साथी बता रहा है। भारत की वर्तमान सरकार ट्रम्प की जीत से खासे उत्साहित है। कमला हैरिस हिंदुस्तानी मूल की हीं है पर इस हिंदुस्तानी का भारत के हिन्दू और हिंदुत्व से कोई लेना देना नहीं है। कमला कश्मीर पर बोलती है। यहाँ के मुसलमान पर बोलती है पर बंगलादेश के हिन्दुओं पर कुछ नहीं बोलती है। मुसलमानों का सवाल इनके मानवाधिकार के अंतर्गत आता है। कमला के पास जो मानवाधिकार की समझ है इसके दायरे में हिन्दू की प्रताड़ना कभी नहीं आयी? ट्रम्प बार-बार हिन्दुओं पर हुए आक्रमण और अन्याय के खिलाफ अपनी चुप्पी तोड़ते रहे हैं। कश्मीर से लेकर कनाडा तक ट्रम्प ने हिन्दुओं के साथ खड़े नजर आये। स्वाभविक है कि भारत की हिंदूवादी सरकारें ट्रम्प से मोहित होंगी।
भाजपा की नजर में कमला की स्थिति यहाँ के कांग्रेस जैसी ही है। यह अलग बात है कि चुनाव हारने के बाद कमला, चुनाव में किसी दुरूपयोग को विषय नहीं बनाया। कांग्रेस तो यहाँ हारने के बाद नाना प्रकार की विसंगतियों को लेकर बैठ जाती है। भाजपा, कमला और कांग्रेस को एक साथ जोड़ने का प्रयास कर रही है। शोषण और भेदभाव के सारे सवाल को अमेरिका की जनता ने ख़ारिज कर दिया। डायवर्सिटी का सवाल भी हासिये पर नजर आये। और भारत में भी ऐसे सवाल नकारे हीं जा रहे हैं। ट्रंप अमीरी लाने की बात करते रहे और कमला गरीबी हटाने की बात करती रही। मुझे ऐसा लगता है कमला ने अपना चुनाव अभियान निषेध से ही शुरू किया जो निषेध पर जाकर समाप्त हो गया। ट्रम्प की जीत वर्तमान दुनिया के राजनीति के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। रूस और यूक्रेन, इजरायल और ईरान बीच समर में है। अमेरिका कैसे अपने को संतुलन में रखेगा, यह देखना बाकी है। भारत के हित में ट्रम्प की जीत महत्वपूर्ण है। यह भाजपा और भारत दोनों के हित में है। भाजपा की जो वर्गीय राजनीति है यह ट्रम्प की जीत इसे और मजबूत बनाएगी। फिर हाउडी -2 होना तय है।
हाथी की अमेरिका में जीत हुई है। ट्रंप को बधाई! यहाँ के लोकतंत्र को बधाई! पर हाथी, हिन्दुस्तान का जो कमजोर हो रहा है, यह बहुत ही दुखद है। मध्यप्रदेश में हाथियों की लगातार मौत हो रही है। सरकार कार्रवाई कर रही है। पर पोलिटिकल हाथी का क्या होगा? यह हाथी कभी भारत की राजनीति के केंद्र में था। पर हाथी आज लगातार हासिये पर जा रहा है। जो दलित वोटर हाथी पर सवार थे वे आज भाजपा के साथ आ खड़े हुए हैं। हाथी यहाँ बेजान पत्थर होकर पार्कों में खड़ा है। कौन हाथी को पूछ रहा है? मोदी की जीत हो या ट्रम्प की जीत हो, दोनों के जीत का चरित्र एक ही है। यहाँ का विपक्ष लगातार हार-हार कर भाजपा को जीत जाने का मौका दे रहा है। बहुजन समाज, हाथी की तरह ही विशाल दिखता है पर इनकी उपयोगिता अब कुछ भी नहीं रह गयी है। यहाँ का हाथ हो या हाथी, खतरे में है।