संयुक्त परिवार का एकल परिवार में बदल जाना भी वर्तमान आर्थिक-सामाजिक व्यवस्था की अनिवार्य परिणति है। इन स्थितियों से मुक्ति वृद्ध दिवस, बाल दिवस, युवा दिवस, पृथ्वी दिवस और पर्यावरण दिवस मनाने से नहीं, व्यवस्था परिवर्तन से ही सम्भव है।
कोरोना देश में फैला था तो लोग दहशत में थे। आदमी-आदमी के पास नहीं जाना चाहता था। किसी को छींक हुई कि लोग भयभीत हो जाते थे। लगता था कि कोरोना दस्तक दे रहा है। ऐसे मौसम में बहुत से ज्ञानी जनम ले लेते हैं।