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बिहार में सामाजिक न्याय और भाजपा

बिहार लोकतंत्र का केंद्र रहा है। यह बात अलग है कि पहले बिहार में लोकतान्त्रिक चेतना हुआ करती थी, पर आज वह लोकचेतना, जातीय चेतना में परिवर्तित हो गयी है। वह लोक अब जाति बन गयी है। लोक-सघर्ष अब जातीय-संघर्ष हो गया है। बिहार के लिए…

सत्ता की बदनाम गली में भटकता नीतीश कुमार

नीतीश कुमार की उम्र चौहत्तर की हो गई है। चौहत्तर से नीतीश कुमार का गहरा संबंध है। चौहत्तर आंदोलन के प्रोडक्ट के रूप में ही ये ख्यात रहे हैं। इसी साल चुनाव होना है। इनके अभूतपूर्व मुख्यमंत्री होने की संभावना बहुत थी, पर ये भूतपूर्व होके…

प्रशांत का जन सुराज: एक गोदी-मूवमेंट

सामाजिक-न्याय के सवाल पर प्रशांत मौन क्यों है? क्या जन सुराज का राजनीतिक बदलाव ही बिहार के सांस्कृतिक-बदलाव का आधार बनेगा? इस प्रशांत-रेखा को समझना जरूरी है. प्रशांत यही साबित करना चाहते हैं कि जिस समूह के पास धन होगा और ऊँची पहुँच होगी,…

जन सुराज का यह पुनमिया कुशाल यानी पीके

यहाँ पीके यानी पुनमिया कुशाल की नहीं, बल्कि मैं प्रशांत किशोर की बात कर रहा हूँ। बिहार के सियासी लोक में इनका अवतरण हुआ है। आमिर खान की तरह यह प्रशांत किशोर भी पिछले दो साल से बिहार में भटक रहे हैं

बिहार में बयानों के बयार हैं,निशाने पर नीतीशे कुमार हैं

मौसम का मिजाज देख सत्ता भी अपना मिजाज बदल रही है। सत्ता फिर करवट लेगी या किस करवट लेगी ? जितना मुँह उतनी बातें हो रही है। राजग गठबंधन पर भदवा लगता दिख रहा है। आशंकाओं के बादल उमड़-घुमड़ रहे हैं। सत्ता बदलने के पहले जैसा वातावरण होता है या…

प्रशांत किशोर ने बदला नारा, अँधेरे के अब तीन प्रकाश ही नहीं,बल्कि चार प्रकाश हो गए हैं?

आज से लगभग पचास साल पहले एक नारा बहुत ही बुलंद था-अँधेरे के तीन प्रकाश ! गाँधी लोहिया जयप्रकाश !! बिहार में गूंजता वह नारा अब बदल गया है।अँधेरे के अब तीन प्रकाश ही नहीं,बल्कि चार प्रकाश हो गए हैं? इस नारे में नया नाम अब बाबासाहेब आंबेडकर का…