सी. पी. राधाकृष्णन भारत के 15वें उपराष्ट्रपति चुने गए

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नई दिल्ली, । 10 सितम्बर 2025 । सीपी राधाकृष्णन देश के 15वें उपराष्ट्रपति होंगे। NDA उम्मीदवार राधाकृष्णन ने I.N.D.I.A. कैंडिडेट सुदर्शन रेड्डी को 152 वोटों के अंतर से हराया। मंगलवार को हुए मतदान में 788 में से 767 (98.2%) सांसदों ने वोट डाला। राधाकृष्णन को 452 वोट और सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट मिले। 15 वोट अमान्य करार दिए गए।

चुनाव में कम से कम 14 विपक्षी सांसदों के NDA के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की अटकलें हैं। दरअसल, NDA के पास 427 सांसद थे। वाईएसआर कांग्रेस के 11 सांसदों ने राधाकृष्णन को समर्थन दिया था। इन्हें जोड़कर 438 वोट ही बनते हैं। लेकिन राधाकृष्णन को 14 ज्यादा यानी 452 वोट मिले हैं।

भाजपा का दावा है कि विपक्षी दलों की तरफ से 15 क्रॉस वोटिंग भी हुई है और कुछ विपक्षी सांसदों ने जानबूझकर अमान्य वोट डाले। वोटिंग के बाद विपक्ष ने अपने सभी 315 सांसद एकजुट होने का दावा किया। हालांकि, नतीजों में ऐसा नहीं दिखा।

राधाकृष्णन अटल बिहारी वाजपेयी के दौर में दो बार कोयंबटूर से सांसद बने। वे एक बार केंद्रीय मंत्री बनने के बेहद करीब थे, लेकिन एक जैसे नाम के कारण पार्टी प्रबंधकों से चूक हुई और एक अन्य नेता पोन राधाकृष्णन को पद सौंप दिया गया था।

भाजपा दक्षिण से उपराष्ट्रपति चेहरा लाई, जिससे सेंटिमेंट बने भाजपा का दक्षिण की राजनीति पर फोकस है, क्योंकि पार्टी वहां पर कमजोर है। एक मात्र राज्य आंध्र प्रदेश है, यहां TDP के साथ मिलकर भाजपा ने NDA की सरकार बनाई है। कर्नाटक, तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार है। तमिलनाडु में DMK और केरल में लेफ्ट की सरकार है। ऐसे में भाजपा की नजर राधाकृष्णन के जरिए अपनी राजनीतिक स्थिरता और मजबूत करने की है।

2026 में तमिलनाडु-केरल में विधानसभा चुनाव

  • तमिलनाडु में 2026 में विधानसभा चुनाव होगा। इस बार भाजपा की नजर वोट शेयर बढ़ाने पर होगी। 2021 में 20 सीटों पर चुनाव लड़कर 4 सीटें जीती थीं। पार्टी का वोट शेयर केवल 2.6 प्रतिशत रहा था।
  • केरल में 140 सीट पर 2026 में विधानसभा चुनाव होना है। मौजूदा विधानसभा में भाजपा का कोई सदस्य नहीं है। 2021 में हुए चुनाव में भाजपा एक सीट भी जीत नहीं पाई थी। इस बार के चुनाव में भाजपा को खाता खोलने की उम्मीद होगी।

उपराष्ट्रपति चुनाव में विचारधारा के आधार पर पड़े वोट

उपराष्ट्रपति चुनाव इस बार विचारधारा आधारित रहा। आमतौर पर इस तरह के चुनाव में भाषा या क्षेत्र की पहचान भी असर डालती है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। NDA कैंडिडेट राधाकृष्णन को तमिलनाडु की सबसे बड़ी पार्टी DMK ने एक भी वोट नहीं दिया, जबकि विपक्ष के उम्मीदवार रेड्डी तेलुगु भाषी होने के बावजूद आंध्र प्रदेश की TDP और YSRCP ने भी वोट नहीं दिया।

दोनों कैंडिडेट्स को उनके अपने राजनीतिक ब्लॉक यानी NDA और INDIA के वोट मिले। तमिलनाडु में अगले साल चुनाव हैं, लेकिन DMK ने राधाकृष्णन को वोट न देकर यह संदेश दिया कि जो भी पार्टी NDA के साथ है, वह तमिलों के साथ जरूरी नहीं है।

वहीं TDP के एक नेता ने कहा- व्हिप न होने के बाद भी NDA को वोट देने का मतलब साफ है कि सत्ताधारी और विपक्षी पार्टी के नेतृत्व की संगठन पर मजबूत पकड़ है। BJD और BRS जैसी पार्टियों ने इस चुनाव में हिस्सा नहीं लिया, लेकिन उनके सांसद भी पार्टी के फैसले के अनुसार वोट देने में बंधे रहे।

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