सुप्रीम कोर्ट बोला-ED ठगों की तरह काम नहीं कर सकती- कानून के दायरे में रहना होगा

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नई दिल्ली, 08 अगस्त ,2025 – सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) के कामकाज को लेकर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा है कि यह एजेंसी कानून के दायरे में रहकर ही कार्रवाई कर सकती है और किसी भी हालत में ठगों की तरह काम करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ED के पास भ्रष्टाचार, मनी लॉन्ड्रिंग और आर्थिक अपराधों की जांच की व्यापक शक्तियां हैं, लेकिन इन शक्तियों का इस्तेमाल मनमाने तरीके से या डराने-धमकाने के लिए नहीं किया जा सकता।

यह टिप्पणी उस समय आई जब कोर्ट एक ऐसे मामले की सुनवाई कर रहा था जिसमें आरोप था कि ED ने बिना पर्याप्त सबूत और कानूनी प्रक्रिया का पालन किए, आरोपियों पर दबाव डाला और संपत्तियां जब्त कीं। न्यायमूर्ति की पीठ ने कहा कि एजेंसी को अपनी जांच में पारदर्शिता, निष्पक्षता और कानूनी प्रक्रिया का पालन करना होगा, अन्यथा इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठेंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि ED के कामकाज का उद्देश्य अपराधियों को सजा दिलाना है, न कि लोगों को डराना या अवैध तरीके से लाभ उठाना। अदालत ने केंद्र सरकार से यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि एजेंसी के अधिकारियों को मानवाधिकारों और संवैधानिक मूल्यों का प्रशिक्षण दिया जाए, ताकि वे कार्रवाई करते समय नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन न करें।

कोर्ट ने यह भी चेतावनी दी कि अगर किसी भी मामले में ED द्वारा प्रक्रिया का उल्लंघन पाया गया, तो संबंधित अधिकारियों पर व्यक्तिगत रूप से कार्रवाई की जाएगी। इस फैसले को न्यायिक पारदर्शिता और सरकारी एजेंसियों की जवाबदेही की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- अब समय आ गया कि सख्ती की जाए जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि PMLA के लिए TADA और POTA की तरह अलग कोर्ट बनाई जाएं, जहां रोजाना सुनवाई हो। इससे मामलों का जल्द निपटारा होगा। उन्होंने कहा, ‘प्रभावशाली आरोपी फिर भी याचिकाएं दायर करेंगे, लेकिन उन्हें पता होगा कि अगली ही तारीख पर फैसला हो जाएगा। अब वक्त आ गया है कि ऐसे लोगों पर सख्ती की जाए।’

क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कानून पर गंभीरता से हो विचार सुनवाई के दौरान एएसजी राजू ने बताया कि कई आरोपी देश छोड़कर केमैन आइलैंड जैसे देशों में चले जाते हैं और क्रिप्टोकरेंसी जैसे आधुनिक तरीकों से जांच को प्रभावित करते हैं। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि सरकार को क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट करने पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।

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