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Baba Nama
चुनाव के बोझ से दबा लोकतंत्र
नेताओं की जीभ जब फिसलने लगे। इनके अनाप-शनाप बयान आने लग जाए। हिन्दू-मुसलमान, जातीय और साम्प्रदायिक दंगे भी होने लग जाए। ईडी, सीबीआई एक्टिव हो जाए। कुछ नेता और कार्यकर्ताओं के मारे जाने की खबर भी आने लग जाए तो आप अंदाजा लगाने में देर नहीं…
विजयादशमी पर बाबासाहेब क्यूँ नहीं याद आए?
14 अक्टूबर 1956 आज भी संघ को रह-रह कर भयभीत करता है। संघ आज इस तिथि पर मौन है। संघ नहीं चाहता है कि इस तिथि को कोई याद करे!
यह हुकूमत हीं जर्सी है
देसी गोवंश सूचीबद्ध हो। इनकी पहचान भी अद्यतन हो। किसान इनके महत्व को जाने। हम जानते हैं कि राज्य की अपनी सीमा होती है पर संभावना बहुत होती है। बस मजबूत इच्छा शक्ति की जरुरत होती है। राज्य सरकारें चाहे तो नयी गोकुल संस्कृति की शुरुआत हो सकती…
सम्पूर्ण क्रांति और सम्पूर्ण कर्मकांड
लोकनायक को याद करूँ या सदी के महानायक को याद करूँ? आज लोकनायक जयप्रकाश और अमिताभ बच्चन का आज जन्मदिन है। आज जन्मदिन नानाजी देशमुख का भी है। यहाँ कौन बेहतर और कौन कमतर का प्रश्न नहीं है। प्रश्न प्रतिबद्धता का है। वर्तमान के जो सुलगते सवाल…
भुतहे हबेली के सवाल ?
बंगला बनाना, बंगला में रहना और बंगला को छोड़ना एक कहानी की तरह है। इस बंगले में बहुत सारे राज छुपे हैं। यह मेरा नहीं भाजपा नेता सचदेवा का बयान है।
नयी सभ्यता के लिए तलवार नही, विचार चाहिए
तीसरे विश्व युद्ध का आगाज हो चुका है। मानवता के करुण पुकार अनसुनी हो रही है। स्त्रियां, बच्चे, बूढ़े सभी युद्ध की विभीषिका के शिकार हैं। मन व्यथित है कि हमारी निजी भूमिका क्या हो और सामूहिक भूमिका क्या हो?
हरियाणा में भाजपा की हार के मायने
हरियाणा यानी हरित प्रदेश यानी खेती किसानी का पर्याय ही है. भाजपा सरकार की नीतियाँ किसानों को पसंद तो आयी नहीं, ऊपर से प्रताड़ना अधिक झेलनी पडी? किसानों को लेकर भाजपा सरकार की बड़ी हठधर्मिता रही है.
हरियाणा का सियासी महाभारत
हरियाणा आज अपने भविष्य निर्माताओं का चुनाव कर रहा है। चुनाव में होश और विवेक की अपेक्षा की जाती है। अक्सर इसके विपरीत ही जनता का व्यवहार सामने आता है। अमूमन जनता बदलाव के पक्ष में खड़ी होती है। पब्लिक परिवर्तन ही पसंद करती है। रिपीट का मतलब…
प्रशांत का जन सुराज: एक गोदी-मूवमेंट
सामाजिक-न्याय के सवाल पर प्रशांत मौन क्यों है? क्या जन सुराज का राजनीतिक बदलाव ही बिहार के सांस्कृतिक-बदलाव का आधार बनेगा? इस प्रशांत-रेखा को समझना जरूरी है. प्रशांत यही साबित करना चाहते हैं कि जिस समूह के पास धन होगा और ऊँची पहुँच होगी,…
आसान नहीं जन सुराज को इग्नोर करना
शराब नीति की प्रशांत ने धज्जियाँ उड़ा दी। प्रशांत ने कहा कि शराब बंदी को ख़त्म करना उनकी पहली प्राथमिकता है।