हिन्दू धर्म में गाय को देवी का स्थान क्यों प्राप्त है?
हिन्दू धर्म एक ऐसा जीवन-दर्शन है जो प्रकृति, जीव-जंतुओं और समस्त सृष्टि में दिव्यता को स्वीकार करता है। इस परंपरा में गाय को विशेष रूप से “देवी” का स्थान प्राप्त है। वह केवल एक पशु नहीं, बल्कि करुणा, पवित्रता, समर्पण और जीवनदायिनी शक्ति की प्रतीक मानी जाती है। हिन्दू समाज में “गौमाता” की पूजा की जाती है, और उसका स्थान देवी स्वरूप के रूप में श्रद्धापूर्वक स्वीकार किया गया है।
1. वेदों में गौरवमयी स्थिति:
गाय का उल्लेख वेदों में “अघन्या” (अस्पृश्य, मारने योग्य नहीं) के रूप में हुआ है।
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ऋग्वेद, अथर्ववेद और यजुर्वेद में गाय को समृद्धि, शांति और उर्वरता का प्रतीक बताया गया है।
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गाय को “कामधेनु” कहा गया — ऐसी दिव्य गाय जो मनोवांछित फल देती है।
यह वैदिक दृष्टिकोण गाय को केवल उपयोगी नहीं, बल्कि दैवीय सत्ता से युक्त मानता है।
2. 33 कोटि देवी-देवताओं का वास:
हिन्दू धर्म में ऐसा विश्वास है कि गाय के शरीर में 33 कोटि (प्रकार) के देवता निवास करते हैं:
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उसके मुख में सर्वतीर्थ,
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सींगों में इन्द्र व वरुण,
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पीठ पर ब्रह्मा,
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और पूंछ में सरस्वती व अन्य देवी शक्तियाँ।
इसलिए गाय की पूजा करना सभी देवी-देवताओं की पूजा के समान माना गया है।
3. देवी लक्ष्मी का प्रतीक:
गाय को धन और ऐश्वर्य की देवी लक्ष्मी का रूप माना गया है।
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विशेषतः गोवर्धन पूजा, गोवत्स द्वादशी और गोधन अष्टमी जैसे पर्वों में गाय की पूजा लक्ष्मी के रूप में की जाती है।
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उसका गोबर और गोमूत्र तक पवित्र माने जाते हैं और धार्मिक अनुष्ठानों में प्रयोग होते हैं।
4. माँ के समान दयालु और पोषणदात्री:
गाय बिना किसी भेदभाव के अपना दूध देती है, चाहे वह उसका बछड़ा हो या कोई अन्य। यह निःस्वार्थ सेवा देवी स्वरूप का गुण है।
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उसका दूध, दही, घी, छाछ, गोमूत्र, गोबर — ये सभी “पंचगव्य” धार्मिक और औषधीय उपयोग के लिए अमूल्य हैं।
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माँ की तरह वह जीवन के हर चरण में संरक्षण करती है — शिशु से लेकर रोगी तक।
5. धार्मिक कृत्यों में स्थान:
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यज्ञ, हवन, पूजा आदि में गाय के घी और गोबर का प्रयोग आवश्यक होता है।
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गायत्री मंत्र और गोदान का गाय से गहरा संबंध है।
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कई देवी-देवता गाय के साथ दर्शाए जाते हैं — श्रीकृष्ण का गोकुल गायों से भरा रहता था।
गाय हिन्दू धर्म में देवी इसलिए मानी गई क्योंकि वह सृष्टि को पोषित करने वाली, निःस्वार्थ सेवा देने वाली, और समस्त देवत्व की प्रतीक है। उसका अस्तित्व धार्मिक, आध्यात्मिक और सामाजिक मूल्यों से जुड़ा है।
गाय केवल एक पशु नहीं — वह करुणा, शक्ति और मातृत्व की देवी है — ‘गौमाता’।