सूर्या का समर्पण: भारतीय सेना को समर्पित ऐतिहासिक जीत

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नई दिल्ली, एशिया कप में पाकिस्तान को हराने के बाद भारतीय कप्तान सूर्यकुमार यादव ने जीत भारतीय सेना को समर्पित कर दी। सूर्या और टीम इंडिया का मैसेज साफ था कि यह जीत देश के जवानों को सम्मान देने के लिए है। पहलगाम आतंकी हमले और उसके बाद चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली बार भारत और पाकिस्तान की क्रिकेट टीमें आमने-सामने थी।

खास बात यह रही कि मैच जीतने के बाद भारतीय खिलाड़ियों ने पाकिस्तानी प्लेयर्स से हाथ नहीं मिलाया। इससे पहले टॉस के वक्त भी सूर्या ने PAK कप्तान सलमान अली आगा से हाथ नहीं मिलाया था। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में टॉस के वक्त और मैच के बाद प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ियों का हाथ-मिलाना कर्टसी माना जाता है। मतलब एक-दूसरे के लिए सम्मानजनक व्यवहार। भारतीय टीम ने संदेश दे दिया कि एशिया कप में खेलना इस टूर्नामेंट के लिए उसका कमिटमेंट है, लेकिन पाकिस्तानी खिलाड़ियों से कर्टसी निभाने का उनका कोई इरादा नहीं है।

सूर्या की धधकती पारी

सूर्यकुमार यादव ने दबाव की घड़ी में जिम्मेदाराना बल्लेबाजी की। उनकी पारी में आक्रामकता और संयम का अनोखा संतुलन देखने को मिला। चौके-छक्कों की बौछार ने विपक्षी टीम को बैकफुट पर धकेल दिया। दर्शक मंत्रमुग्ध रह गए और मैदान में भारत-माता के जयकारे गूंज उठे।

जीत का समर्पण भारतीय सेना को

मैच के बाद सूर्या ने भावुक होकर कहा कि यह जीत भारतीय सेना को समर्पित है, जो देश की रक्षा के लिए हर पल तैयार रहती है। उनकी इस बात ने हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया। खेल के मंच से सैनिकों के लिए सम्मान का यह संदेश खिलाड़ियों और सेना के बीच गहरे रिश्ते को दर्शाता है।

सेना का योगदान

भारतीय सेना केवल सीमाओं पर ही नहीं, बल्कि आपदा, बचाव और राष्ट्र निर्माण के हर मोर्चे पर अपना अमूल्य योगदान देती है। सूर्या का यह समर्पण इस बात का प्रतीक है कि खिलाड़ियों को अपनी सफलता में सेना का बलिदान और योगदान हमेशा याद रहता है।

खेल और राष्ट्रप्रेम का संगम

क्रिकेट और राष्ट्रप्रेम का यह संगम युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है। जब खिलाड़ी अपनी सफलता देश और उसकी रक्षा करने वाली ताकतों को समर्पित करता है, तो यह केवल खेल नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण की एक मजबूत कड़ी बन जाती है।

सूर्यकुमार यादव का यह कदम सिर्फ खेल की जीत नहीं, बल्कि भारतीय सेना के साहस और बलिदान को श्रद्धांजलि भी है। यह संदेश हर भारतीय के दिल में गूंजता रहेगा कि असली हीरो वे जवान हैं जो सीमाओं पर डटे रहते हैं।

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