सुप्रीम कोर्ट ने रामसेतु मामले पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया
नई दिल्ली, 30 अगस्त 2025 – सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व से जुड़े रामसेतु (Adam’s Bridge) को लेकर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। अदालत ने केंद्र से यह स्पष्ट करने को कहा है कि वह इस प्राचीन संरचना को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने और इसके संरक्षण के लिए क्या कदम उठा रही है।
मामला क्या है?
रामसेतु, जिसे आदम का पुल भी कहा जाता है, भारत के तमिलनाडु के रामेश्वरम से श्रीलंका के मन्नार द्वीप तक फैली एक चूना पत्थर की शृंखला है। हिंदू आस्था के अनुसार यह सेतु भगवान श्रीराम की सेना ने लंका पर विजय प्राप्त करने के लिए बनाया था। वहीं वैज्ञानिक दृष्टि से यह एक प्राकृतिक भूवैज्ञानिक संरचना मानी जाती है।
इससे पहले भी रामसेतु को लेकर कई बार विवाद उठ चुका है। विशेषकर सेतु समुद्रम शिपिंग कैनाल परियोजना को लेकर यह मामला चर्चा में आया था, जिसके अंतर्गत जहाजों के लिए समुद्री मार्ग बनाने हेतु रामसेतु के कुछ हिस्सों को काटने की योजना बनाई गई थी।
याचिका का आधार
याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई थी कि रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जाए ताकि इसे किसी भी प्रकार की परियोजना या तोड़फोड़ से बचाया जा सके। उनका कहना है कि यह संरचना न केवल धार्मिक महत्व रखती है बल्कि भूगर्भीय और पुरातात्विक दृष्टि से भी अद्वितीय है।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि इस विषय में अब तक सरकार ने क्या ठोस कदम उठाए हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि धरोहर और आस्था से जुड़े स्थलों का संरक्षण सिर्फ धार्मिक भावनाओं का मामला नहीं बल्कि राष्ट्रीय धरोहर को बचाने का प्रश्न भी है।
केंद्र सरकार का रुख
केंद्र सरकार ने पूर्व में कहा था कि इस विषय पर वैज्ञानिक, धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से विस्तृत अध्ययन जरूरी है। अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा नोटिस मिलने के बाद यह देखना होगा कि सरकार इस पर क्या आधिकारिक जवाब देती है।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
रामसेतु को लेकर हिंदू समाज में गहरी आस्था है। इसे भगवान श्रीराम के इतिहास और रामायण की घटनाओं से जोड़कर देखा जाता है। तमिलनाडु और श्रीलंका के समुद्री क्षेत्र में स्थित यह स्थल श्रद्धालुओं के लिए धार्मिक पर्यटन का भी केंद्र है।
राजनीतिक परिप्रेक्ष्य
रामसेतु का मुद्दा हमेशा से राजनीतिक रूप से भी संवेदनशील रहा है। कई दल इसे धार्मिक भावनाओं से जोड़ते हुए इसके संरक्षण की मांग करते आए हैं। वहीं दूसरी ओर विकास परियोजनाओं के समर्थक इसे समुद्री व्यापार और नौवहन के लिए बाधा मानते हैं
सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्र को नोटिस जारी किया जाना इस मुद्दे पर नए सिरे से बहस की शुरुआत है। अब देशभर की निगाहें इस बात पर होंगी कि केंद्र सरकार रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने पर क्या रुख अपनाती है। यह फैसला न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा होगा बल्कि भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत के संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।