सर्जियो बने भारत में नए अमेरिकी राजदूत, मस्क-ट्रम्प विवाद में रह चुके हैं सुर्खियों में

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नई दिल्ली । 23 अगस्त 25 । राष्ट्रपति ट्रम्प ने सर्जियो गोर को भारत में अमेरिका का अगला राजदूत नियुक्त किया है। उन्हें शुक्रवार को दक्षिण और मध्य एशियाई मामलों के लिए विशेष दूत की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है।

सर्जियो गोर को मस्क और ट्रम्प के बीच लड़ाई शुरू कराने वाला माना जाता है। मस्क ने नाराज होकर गोर को ‘सांप’ तक कह दिया था। सर्जियो लंबे समय से ट्रम्प परिवार के भरोसमंद रहे हैं।

पहले उनका काम ट्रम्प से जुड़े कार्यक्रमों को देखना था। वे यह भी देखते रहे हैं कि ट्रम्प से कौन मिल सकता है और कौन नहीं। इसलिए अमेरिकी मीडिया उन्हें ट्रम्प का ‘गेटकीपर’ भी कहती है। यानी कि ऐसा शख्स जो ट्रम्प तक पहुंचने के रास्ते पर पहरेदार की तरह खड़ा है।

ट्रम्प ने 7 महीने बाद चुना भारत का राजदूत

गोर ने एरिक गार्सेटी की जगह ली है। वे मई 2023 से जनवरी 2025 तक भारत में अमेरिका के राजदूत रहे। ट्रम्प ने भारत में अमेरिकी राजदूत के रूप में सर्जियो गोर को करीब 7 महीने की देरी के बाद नियुक्त किया है। जबकि ट्रम्प ने चीन समेत कई देशों में दिसंबर, 2024 में ही राजदूत नियुक्त कर दिया था।

माना जा रहा है कि गोर भारत में अमेरिका फर्स्ट एजेंडे को आगे बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। गोर ने राष्ट्रपति चुनाव के दौरान ट्रम्प के लिए फंड जुटाने में भी बड़ी भूमिका निभाई। वे ट्रम्प के खास माने जाते हैं उनकी ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के कट्टर समर्थक हैं।

गोर व्हाइट हाउस में नियुक्तियों की जांच-परख में भी शामिल रहे हैं। उन्हें ट्रम्प की टीम में पर्दे के पीछे सबसे ताकतवर शख्सियतों में से एक माना जाता है।

गोर को ऐसे समय में भारत में अमेरिका का राजदूत बनाया जा रहा है जब टैरिफ को लेकर अमेरिका से उसका विवाद चल रहा है। कुछ दिन पहले ही अमेरिका के व्यापार वार्ताकारों की 25-29 अगस्त को भारत यात्रा अचानक रद्द कर दी गई थी।

पैदा होने की जगह को लेकर झूठ कहा

सर्जियो गोर पहली बार अमेरिकी राजनीति और मीडिया में 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव अभियान के दौरान चर्चा में आए थे। ट्रम्प ने उन्हें कैंपेन एडवाइजर बनाया था। बाद में वे ट्रम्प के पर्सनल चीफ बने।

तब गोर की जिम्मेदारी थी कि अगर ट्रम्प जीतते हैं तो नए प्रशासन में किसे-किसे नियुक्त किया जाए। यानी उनका काम था हजारों पदों के लिए नाम चुनना और यह जांचना कि उनकी ट्रम्प में कितनी निष्ठा है।

जैसे ही गोर को यह जिम्मेदारी मिली अमेरिकी और यूरोपीय मीडिया ने उनकी ‘जन्मकुंडली’ खंगालनी शुरू की। तब पता चला कि उनका असली नाम सर्जियो गोरोखोव्सकी है। उनका जन्म 1986 में ताशकंद, उज्बेकिस्तान में हुआ था, यह तब सोवियत संघ का हिस्सा था।

हैरानी की बात ये थी कि गोर हमेशा दावा करते आए हैं कि वे माल्टा (यूरोपीय देश) में जन्मे हैं। जब इस मामले ने तूल पकड़ा तो माल्टा सरकार खुद एक्शन में आई और कहा कि उनके पास गोर के जन्म का कोई रिकॉर्ड नहीं है।

इसके बाद गोर की जन्म से जुड़े ताशकंद वाले रिकॉर्ड सामने आ गए। तब गोर ने पहली बार माना कि वे माल्टा में पैदा नहीं हुए थे। उनके वकील रॉबर्ट गार्सन ने मीडिया को बताया कि सर्जियो गोर का जन्म ताशकंद में हुआ था, लेकिन वे कुछ ही समय बाद माल्टा आ गए थे। उनकी पढ़ाई वहीं से हुई है इसलिए अपनी पहचान माल्टा से बताते हैं।

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