भगवा आतंक जैसे बदनाम बहस को लगा विराम- डॉ धनंजय
स्वराज खबर।
भाजपा प्रवक्ता डॉ धनंजय ने कहा, ‘सुपर ब्वायज ऑफ मालेगांव’ की बात करने का अभी वक्त नहीं है। आज बात हो रही है सुपर जजमेंट ऑफ मालेगांव की। उन्होंने कहा कि भगवा आतंक जैसी बदनाम बहस को आगे बढ़ाने के लिए इस विस्फोट की साजिश रची गयी थी जिसमें आधे दर्जन लोगों की मौत और सौ से ज्यादा लोग घायल हुए थे। पूर्व संसद सदस्य साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और अन्य निर्दोष लोगों को फसाया गया था। प्रज्ञा ठाकुर को असंभव यातनाएं दी गयी।
स्याह सी वे यादें इनके जीवन पर्यंत मानस पटल पर चित्रित होती रहेंगी। तत्कालीन सरकार द्वारा झूठे गवाहों की भीड़ जमा की गई। गवाहों की इस भीड़ को जब अहसास हुआ कि उनका इस्तेमाल किया जा रहा है तब वे सावधान हुए। इन गवाहों को जब सत्य का अहसास हुआ तब झूठी गवाही से ये लोग दूर हटने लगे। अभियोजन पक्ष कोई साक्ष्य नहीं जुटा पाया। अंततः न्यायालय को सत्य के साथ खड़ा होना पड़ा। आज सभी आरोपी बरी कर दिए गए। यह तो होना ही था।
इस घटना के बहाने जिस बहस का आगाज हुआ यह बहस फर्जी निकली। भगवा आतंक जैसे शब्द को बीच बहस में जिंदा रखा गया।
अल्पसंख्यक सांप्रदायिकता ही इस देश के विभाजन का हथियार रही। देश के बहुजन आबादी जिसके लिए यह धरती प्राण से भी प्रिय रही है को बहुसंख्यक-सांप्रदायिकता से जोड़ा गया ताकि अल्पसंख्यक सांप्रदायिकता की निर्लज्जता को पाक साफ होने का सैद्धांतिक आधार मिल सके।
मालेगांव की ताना भरनी को कांग्रेस ने ध्वस्त किया। इसके रेशमी अहसास को कड़वाहट से भर दिया गया। हिन्दू और हिंदुत्व का संबंध तो शौर्य से रहा है आतंक से नहीं। हिन्दू समाज की पीठ कभी गोली नहीं खाई। हमने सीने पर वार झेला है। आतंक और अतिवाद से हमारा कोई नाता नहीं रहा। सत्यमेव जयते!