“मालदीव: 150 वर्षों में बौद्ध से इस्लामी राष्ट्र — 1,000 साल पुरानी इतिहास की धारा”
मालदीव , 25 जुलाई 2025 । भारत के दक्षिण में हिंद महासागर में स्थित मालदीव साउथ एशिया का सबसे छोटा देश है। 1200 द्वीपों में फैले इस देश का क्षेत्रफल 298 वर्ग किलोमीटर है, जो दिल्ली से भी पांच गुना कम है। पीएम मोदी आज दो दिन के दौरे पर मालदीव पहुंचे हैं।
इस देश का इतिहास लगभग 2500 साल पुराना है। 5 लाख की आबादी वाले मालदीव में 98% लोग मुस्लिम हैं, लेकिन लगभग 900 साल पहले यह बौद्ध और उससे पहले हिंदू धर्म का प्रमुख केंद्र था।
12 सदी में इस देश के राजा ने इस्लाम धर्म अपना लिया था, जिसके बाद 150 सालों में यह पूरी तरह मुस्लिम देश बन गया। वैज्ञानिक रिपोर्ट्स के मुताबिक जलवायु परिवर्तन की वजह से 25 साल में मालदीव का 80% हिस्सा डूब सकता है।
बौद्ध 1000 साल तक मालदीव का प्रमुख धर्म रहा
करीब ढाई हजार साल पहले मालदीव में पहली बार लोगों ने बसना शुरू किया। कुछ ऐतिहासिक कहानियां बताती हैं कि मालदीव में प्राचीन राजतंत्र की नींव भारत के उड़ीसा (प्राचीन काल में कलिंग) के राजा ब्रह्मदित्य के पुत्र, बौद्ध राजा श्री सूरुदासरुण आदित्य ने रखी थी।
ऐसा माना जाता है कि उन्हीं के शासनकाल में बौद्ध धर्म मालदीव पहुंचा। इतिहासकारों का मानना है कि बौद्ध धर्म 1000 सालों से ज्यादा समय तक मालदीव का प्रमुख धर्म रहा। इस दौरान मालदीव की संस्कृति, भाषा और प्राचीन धिवेही लिपि का विकास हुआ।
मालदीव में कई द्वीपों पर आज भी बौद्ध मठों और संरचनाओं के अवशेष मौजूद हैं। इन्हें लोकल भाषा में ‘हवित्ता’ या ‘उस्तुबु’ कहा जाता है।
मालदीव पर 6 इस्लामी राजवंश ने शासन किया
मालदीव में इस्लाम का प्रवेश 9वीं और 10वीं शताब्दी में अरब व्यापारियों के जरिए से हुआ था। मालदीव के अंतिम बौद्ध राजा धोवेमी ने साल 1153 में इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया था।
प्राचीन दस्तावेजों के मुताबिक, माघरेबी (उत्तरी अफ्रीकी) के इस्लामी विद्वान अबु अल-बरकात यूसुफ अल-बरबरी ने राजा को इस्लाम में कन्वर्ट किया था।
धोवेमी को सुल्तान सुल्तान मुहम्मद इब्न अब्दुल्लाह का नाम दिया गया था। इसके साथ ही मालदीव में इस्लामिक शासन की शुरुआत हुई। मालदीव को बौद्ध देश से इस्लामी राष्ट्र बनने में करीब 150 साल का वक्त लगा था।
इस्लामिक शासन के तहत मालदीव में 6 राजवंशों का शासन रहा, जो 1968 तक चला।
2008 में मालदीव के नए संविधान ने इस्लाम को आधिकारिक धर्म घोषित कर दिया गया और नागरिकता के लिए इस्लाम को अनिवार्य बना दिया गया।
कुरानी आयात से राक्षस भागा, राजा ने इस्लाम अपनाया
मालदीव की लोककथाओं के मुताबिक राजा राजा धोवेमी के वक्त मालदीव में एक समुद्री राक्षस रन्नामारी का आतंक था। इस राक्षस को शांत करने के लिए हर महीने एक कुंवारी कन्या की बलि दी जाती थी।
राजा हर महीने एक लॉटरी के जरिए एक लड़की को चुनता था। इसके बाद उस लड़की को रन्नामारी के लिए एक मीनार में रखा जाता था, और अगले दिन वह मरी हुई मिलती थी।
एक बार जब एक परिवार की इकलौती बेटी की बलि के लिए चुना गया, तो परिवार बहुत दुखी हुआ। अबु अल-बरकात उस परिवार के घर ठहरे हुए थे। उन्होंने उस लड़की की जगह खुद मीनार में रात बिताने की पेशकश की।
उस रात उन्होंने मीनार में कुरान की आयतें पढ़ीं। जब रन्नामारी आया, तो कुरान की आयतें सुनकर वह भाग गया। सुबह अबु अल-बरकात जीवित और सुरक्षित मिले।