कृष्णायन का विस्तार मॉडल
कृष्णायन, एक ऐसा मिशन है जिसने ग्रामीण विकास और गौसंरक्षण को एक साथ जोड़कर एक नया मॉडल प्रस्तुत किया है। इसका मूल उद्देश्य केवल गायों की देखभाल तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे आत्मनिर्भर ग्रामीण समाज, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक समरसता से भी जोड़ा गया है। यही कारण है कि कृष्णायन का विस्तार मॉडल आज नीति-निर्माताओं और समाजसेवियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनता जा रहा है।
1. गौसंरक्षण को केंद्र में रखकर विकास
कृष्णायन का मानना है कि गाय केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है।
-
गोबर और गौमूत्र का उपयोग जैविक खेती और प्राकृतिक खाद के रूप में किया जा रहा है।
-
इससे किसानों को रासायनिक खाद पर निर्भरता कम करने में मदद मिल रही है।
-
गौआधारित उत्पादों (अगरबत्ती, दवाईयाँ, पेंट, खाद) से स्थानीय लोगों को रोज़गार मिल रहा है।
2. आत्मनिर्भर गौशालाएँ
कृष्णायन का विस्तार मॉडल इस बात पर ज़ोर देता है कि गौशालाएँ केवल दान पर निर्भर न रहें।
-
गौशालाओं को उत्पादन केंद्र बनाया जाए।
-
यहाँ बनने वाले जैविक उत्पाद, ऊर्जा स्रोत (बायोगैस), और डेयरी उत्पाद से आय का सृजन हो।
-
इससे न केवल गायों का संरक्षण होगा बल्कि यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मज़बूत करेगा।
3. ग्रामीण युवाओं के लिए रोज़गार
कृष्णायन का विस्तार मॉडल गाँव के युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोज़गार से जोड़ने का लक्ष्य रखता है।
-
प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से युवाओं को गौआधारित उत्पाद निर्माण, डेयरी प्रबंधन और जैविक खेती सिखाई जा रही है।
-
इससे पलायन रुक रहा है और गाँव के अंदर ही रोज़गार का वातावरण बन रहा है।
4. पर्यावरण संरक्षण
कृष्णायन का विस्तार केवल गौशाला या खेती तक सीमित नहीं है, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने की दिशा में भी काम कर रहा है।
-
प्लास्टिक मुक्त अभियान, वृक्षारोपण और जल संरक्षण परियोजनाएँ इसके महत्वपूर्ण अंग हैं।
-
गोबर आधारित ऊर्जा (बायोगैस, बिजली उत्पादन) से प्रदूषण कम करने की दिशा में ठोस पहल हो रही है।
5. सामाजिक और सांस्कृतिक समरसता
कृष्णायन मॉडल सामाजिक स्तर पर भी बड़ा बदलाव ला रहा है।
-
गाय को केंद्र में रखकर गाँव के लोग एकजुट हो रहे हैं।
-
यहाँ केवल धार्मिक दृष्टि नहीं, बल्कि वैज्ञानिक और आर्थिक दृष्टिकोण से भी गाय का महत्व समझाया जा रहा है।
विस्तार की रणनीति
-
क्षेत्रीय स्तर पर केंद्र: हर जिले में एक ‘कृष्णायन केंद्र’ स्थापित करने की योजना, जो प्रशिक्षण और उत्पादन का केंद्र बने।
-
सरकारी-गैरसरकारी साझेदारी: स्थानीय प्रशासन, NGOs और स्वयंसेवकों को जोड़कर बड़े स्तर पर काम।
-
डिजिटल प्लेटफॉर्म: गौआधारित उत्पादों की बिक्री और प्रचार-प्रसार के लिए ऑनलाइन मंच का उपयोग।
कृष्णायन का विस्तार मॉडल केवल गायों के संरक्षण की योजना नहीं है, बल्कि यह ग्रामीण आत्मनिर्भरता, पर्यावरणीय संतुलन और सामाजिक समरसता की मजबूत नींव रखता है। यदि इसे व्यापक स्तर पर लागू किया जाए, तो यह आने वाले समय में भारत के ग्रामीण विकास का आदर्श मॉडल बन सकता है।