झालावाड़ में बच्चों की मौत, इस राष्ट्र की मौत है

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Jhalawar School Collapse
बाबा विजयेन्द्र (स्वराज खबर, समूह सम्पादक)

झालावाड़ की घटना दिल दहलाने वाली है। यहां स्कूल की दीवार गिरी जिस कारण सात मासूमों की जान चली गई। दो दर्जन से ज्यादा बच्चे जीवन और मौत की लड़ाई लड़ रहे हैं और अस्पताल में भर्ती हैं। झालावाड़ का यह पिपलोदा गांव दो दिनों से भूखा है, गमगीन है, भाव विह्वल है। जिनकी कोख उजड़ गई उनकी स्थिति का बयान मैं यहां नहीं कर सकता हूं। मेरे भी हलक सूख रहे हैं।
यह दुख बहुत बड़ा है। निर्लज्ज निज़ाम और उसका यह बदतर इंतज़ाम। इस पर क्या कुछ बोला जाय? पतित पॉलिटिक्स की नाजायज औलादों ने अमानवीयता की हद ही पार कर दी। इन गरीब बच्चों के अंतिम संस्कार के लिए सरकार से लकड़ी की भी व्यवस्था नहीं हो सकी। टायर से लाश का अंतिम संस्कार किया गया। पूरी मनुष्यता शर्मसार हो गई। भाजपा सरकार पर यह बदनुमा दाग है जिसे मिटाया नहीं जा सकता।
भाजपा की भारतमाता जो कभी राजमाता सिंधिया हुआ करती थी, का नाती दुष्यंत सिंह अभी यहां के सांसद हैं। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा के बेटे भी हैं ये दुष्यंत सिंह। इनकी गरीबी ऐसी कि लाश जलाने के लिए थोड़ी लकड़ी भी मुहैया नहीं करा सके। राजघराने की ऐसी चारित्रिक दीनता? भजनलाल शर्मा को इस घटना को लेकर कोई शर्म नहीं है। शर्म कहां से होगा? इन्हें तो मोदी का भजन गाने से फुर्सत नहीं है। इस कीर्तनियां मुख्यमंत्री से किसी क्रांति या संवेदना की अपेक्षा आप नहीं कर सकते।
यहां शिक्षा पर छह प्रतिशत का बजट है। कहां जा रहा बजट का पैसा? कौन है आदमखोर लुटेरे जो बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं? वैसे ऐसी घटना लगातार राजस्थान में घट रही है।
भाजपा के बड़े निजाम अब सिलेबस में ऑपरेशन सिंदूर को शामिल कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि इससे वीरता का भाव पैदा होगा। तब मोदी अलेक्जेंडर दी ग्रेट कहलाएंगे? मोदी के इस चैप्टर को उलटने के पूर्व ही इस स्कूल के बच्चे व्यवस्था की सूली पर चढ़ गए। भाजपा को इस अवसर पर भी जश्न मनाना चाहिए?
पढ़ाई के दौरान मौत, पढ़कर मौत, परीक्षा देने में मौत, परिणाम लेने में मौत, बेरोजगारी में मौत! मौत तो इनकी नियति है। राष्ट्रपति का बेटा और भंगी का बेटा काश एक स्कूल में पढ़ा होता तो शायद यह संसद दो मिनट का मौन धारण कर रही होती। इनकी नजर में ये बच्चे कीड़े-मकोड़े ही हैं। इनकी मौत से क्या फर्क पड़ता है इन्हें? जब गरीब के बच्चा कटोरा लिए स्कूल जाता है तब हमारे ये हुक्मरान शर्मसार नहीं होते।
आजादी के बाद भी बच्चों के हाथ में यह कटोरा? हाय री आजादी! बाजार के हवाले वतन साथियो। देश की शिक्षा को कॉर्पोरेट और बाजार के हाथों नीलाम कर दी गई है। पर हम क्या करें? हमारे हिस्से की आजादी हमें कब हासिल होगी?
राजगोपालाचारी कहते थे कि बच्चे राष्ट्र की मुस्कुराहट होते हैं। तो क्या इन बच्चों की मौत को हम राष्ट्र की मौत नहीं माने?
समाज को आगे आना होगा तभी एक मुकम्मल शिक्षा व्यवस्था की हम अपेक्षा कर पाएंगे।

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