भारत का इकलौता सक्रिय ज्वालामुखी बुरोबेटिक्रम फटा: आग, राख और पर्यावरणीय प्रभाव
नई दिल्ली, 23 सितम्बर 25। भारत के सबसे चर्चित और इकलौते सक्रिय ज्वालामुखी बुरोबेटिक्रम (Barren Island Volcano) ने एक बार फिर activity दिखाते हुए फटने की घटना दर्ज की है। यह ज्वालामुखी अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में स्थित है और भारतीय उपमहाद्वीप का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी माना जाता है।
ज्वालामुखी की वर्तमान स्थिति
बुरोबेटिक्रम ज्वालामुखी ने सोमवार को अचानक धुआँ और लावा उत्सर्जित करना शुरू किया। स्थानीय मौसम विभाग और भारतीय ज्वालामुखी निगरानी एजेंसी ने इसे सतर्कता का संकेत माना है। आस-पास के द्वीपों के निवासियों के लिए फिलहाल कोई तत्काल खतरा नहीं बताया गया है, लेकिन प्रशासन ने सतर्कता बढ़ा दी है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
वैज्ञानिकों का कहना है कि बुरोबेटिक्रम की यह गतिविधि भू-वैज्ञानिक प्रक्रियाओं का प्राकृतिक हिस्सा है। ज्वालामुखी में लावा का प्रवाह, राख का उत्सर्जन और गैसों का उत्सर्जन आसपास के समुद्री और पर्यावरणीय तंत्र पर असर डाल सकता है।
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लावा प्रवाह: समुद्र में गिरने पर नई भूमि का निर्माण कर सकता है।
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राख और गैसें: वायुमंडल में उत्सर्जन से स्थानीय जलवायु और समुद्री जीवन प्रभावित हो सकता है।
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भू-सुरक्षा: निकटवर्ती द्वीपों के लिए मॉनिटरिंग और आपातकालीन तैयारियां जरूरी हैं।
पर्यावरण और पर्यटन पर असर
बुरोबेटिक्रम ज्वालामुखी एक प्राकृतिक आकर्षण भी है। यह इको-टूरिज्म और समुद्री जीवन के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण है। हालांकि सक्रिय स्थिति के कारण पर्यटकों के लिए फिलहाल द्वीप बंद रखा गया है। इससे स्थानीय पर्यटन उद्योग में अस्थायी असर देखा जा सकता है।
इतिहास और महत्व
बुरोबेटिक्रम ज्वालामुखी पहले भी कई बार सक्रिय हो चुका है। इसकी पहली दर्ज गतिविधि 1787 में हुई थी। यह ज्वालामुखी भारतीय समुद्री भू-वैज्ञानिक गतिविधियों और वैश्विक ज्वालामुखीय अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण है।
भारत का यह इकलौता सक्रिय ज्वालामुखी न केवल भू-वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि पर्यावरणीय संतुलन और प्राकृतिक आपदाओं की समझ के लिए भी आवश्यक है। प्रशासन और वैज्ञानिक लगातार इसकी निगरानी कर रहे हैं ताकि किसी भी अप्रत्याशित घटना से सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।