भारत को हर हाल में चाहिए थी यह जीत

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नई दिल्ली । भारत का हालिया मुकाबला केवल एक खेल नहीं था, बल्कि उम्मीदों और दबाव का संगम था। टीम इंडिया के सामने यह चुनौती सिर्फ अंक हासिल करने की नहीं थी, बल्कि खुद को साबित करने की थी। जब टीम पर आलोचनाओं के बादल मंडरा रहे हों और टूर्नामेंट का भविष्य दांव पर लगा हो, तब एक जीत लाखों प्रशंसकों के विश्वास को मजबूती देती है।

मैदान पर भारतीय खिलाड़ियों ने यही किया—रणनीति, धैर्य और आक्रामकता का शानदार मिश्रण दिखाते हुए विपक्ष को मात दी। बल्लेबाजों ने मजबूत साझेदारियां बनाईं, गेंदबाजों ने सटीक लाइन-लेंथ से दबाव बनाया और फील्डरों ने हर मौके को कैश किया। यह सब मिलकर साबित करता है कि टीम इंडिया बड़े मौकों पर पीछे हटने वाली नहीं है।

रविवार को पाकिस्तान के खिलाफ एशिया कप फाइनल में भारत की स्थिति भी कुछ वैसी ही थी। पहलगाम हमला और ऑपरेशन सिंदूर के बाद बने माहौल में हार का सवाल ही नहीं उठता था।

फाइनल में पाकिस्तान से हार भारतीयों के लिए असहनीय होती। जीतना ही एकमात्र विकल्प था। और यही जीत दिलाई 22 साल के युवा बल्लेबाज तिलक वर्मा ने, जिन्होंने पूरे दबाव के बीच खुद को नायक साबित किया।

20 रन पर गिर गए थे 3 विकेट भारतीय टीम 147 रन के टारगेट का पीछा करते हुए 20 रन पर तीन विकेट गंवा चुकी थी। फाइनल से पहले हर मैच में धूम मचाने वाले अभिषेक शर्मा 5 रन बनाकर आउट हो गए। कप्तान सूर्यकुमार यादव 1 रन ही बना सके। शुभमन गिल भी 12 के आंकड़े से आगे नहीं बढ़े।

इसके बाद तिलक वर्मा ने पहले संजू सैमसन के साथ 57 रन की और फिर शिवम दुबे के साथ 60 रन की पार्टनरशिप कर भारत की जीत की सुनिश्चित कर दी।

बहरहाल, जीत का तिलक टूर्नामेंट में पहला मैच खेल रहे रिंकू सिंह के बल्ले से लगा। उन्होंने आखिरी ओवर की चौथी गेंद पर चौका लगाया और भारत को वह जीत दिला दी जो टीम को हर हाल में चाहिए ही थी।

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