इमाम एसोसिएशन बोला – संविधान से चलेगा देश, गीता-कुरान से नहीं; पर्सनल लॉ खत्म नहीं होने देंगे

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नई दिल्ली, 30 अगस्त 2025यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) और पर्सनल लॉ को लेकर देशभर में जारी बहस के बीच इमाम एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने बड़ा बयान दिया है। संगठन ने साफ कहा है कि भारत एक लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष देश है, जो संविधान से चलता है, किसी धार्मिक ग्रंथ से नहीं। उन्होंने चेतावनी दी कि पर्सनल लॉ को खत्म करने की कोशिश की गई तो इसका कड़ा विरोध किया जाएगा। हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने के लिए कदम बढ़ाने और ड्राफ्ट तैयार करने की प्रक्रिया को तेज किया गया है। इसके खिलाफ कई धार्मिक संगठनों ने आवाज उठाई है। इसी सिलसिले में इमाम एसोसिएशन ने कहा कि संविधान ने हर धर्म और समुदाय को अपने धार्मिक रीति-रिवाज और व्यक्तिगत कानूनों के पालन की स्वतंत्रता दी है।

एसोसिएशन का तर्क

इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कहा:

  • भारत का आधार संविधान है, न कि गीता, कुरान या बाइबल।

  • हर नागरिक को अपनी आस्था के अनुसार जीवन जीने का अधिकार है।

  • पर्सनल लॉ मुस्लिम समाज की पहचान और धार्मिक स्वतंत्रता का हिस्सा है।

  • यूनिफॉर्म सिविल कोड थोपना धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के खिलाफ है।

पर्सनल लॉ का महत्व

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और अन्य धार्मिक संगठन लंबे समय से मानते हैं कि विवाह, तलाक, विरासत और पारिवारिक कानून धर्म पर आधारित व्यक्तिगत नियमों से संचालित होते हैं। उनका कहना है कि यह न केवल धार्मिक आस्था का सवाल है बल्कि सांस्कृतिक पहचान से भी जुड़ा हुआ है।

केंद्र सरकार का कहना है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड से समान नागरिक अधिकारों की स्थापना होगी और लिंग समानता को बढ़ावा मिलेगा। सरकार का दावा है कि व्यक्तिगत कानूनों में मौजूद असमानताओं को दूर करने के लिए एक समान कानून की आवश्यकता है।

विवाद और बहस

यह मुद्दा दशकों से भारतीय राजनीति और समाज में विवाद का विषय रहा है। जहां एक पक्ष इसे आधुनिक और समानता आधारित समाज की ओर कदम मानता है, वहीं दूसरा पक्ष इसे धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप बताता है।

संवैधानिक विशेषज्ञों का मानना है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करना आसान नहीं है क्योंकि भारत विविधताओं का देश है। यहां हर धर्म और समुदाय की अलग परंपराएं और रीतियां हैं। इसलिए इस विषय पर संतुलन और संवाद की आवश्यकता है।

इमाम एसोसिएशन का बयान साफ करता है कि आने वाले समय में यूनिफॉर्म सिविल कोड पर राजनीतिक और सामाजिक टकराव और तेज हो सकता है। एक ओर सरकार समान नागरिक अधिकारों की बात कर रही है, वहीं धार्मिक संगठन अपनी परंपराओं और पर्सनल लॉ को बचाने के लिए आंदोलन की तैयारी में हैं। आने वाले महीनों में यह मुद्दा देश की राजनीति और समाज के केंद्र में रहने वाला है।

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