भारत में बुजुर्गों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी, केरल सबसे आगे – रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया की रिपोर्ट
नई दिल्ली,। 05 सितम्बर 25 । भारत की आबादी अब धीरे-धीरे उम्रदराज हो रही है। रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया की 2023 की सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (एसआरएस) रिपोर्ट के मुताबिक देश में 0 से 14 साल के बच्चों की आबादी में लगातार गिरावट आ रही है, जबकि बुजुर्गों की संख्या बढ़ रही है।
साथ ही, कामकाजी उम्र (15 से 59 साल) के लोगों की हिस्सेदारी भी बढ़ी है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि देश की कुल प्रजनन दर (फर्टिलिटी रेट) 1971 में 5.2 थी, जो 2023 में घटकर 1.9 रह गई है।
0 से 14 साल के बच्चों की आबादी 1971-81 के बीच 41.2% से घटकर 38.1% हो गई थी। इसके बाद 1991 से 2023 के बीच यह और घटकर 24.2% रह गई। यानी पिछले 50 साल में बच्चों की हिस्सेदारी में करीब 17% की गिरावट आई है।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदु
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भारत में कुल जनसंख्या का 10.5% हिस्सा बुजुर्गों का है।
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केरल में यह संख्या राष्ट्रीय औसत से कहीं ज्यादा 16% तक पहुंच चुकी है।
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तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, पंजाब और हिमाचल प्रदेश भी उन राज्यों में शामिल हैं जहां बुजुर्गों की हिस्सेदारी अधिक है।
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उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में बुजुर्गों की संख्या अपेक्षाकृत कम है, लेकिन वहां भी धीरे-धीरे बढ़ोतरी हो रही है।
बढ़ती उम्रदराज़ आबादी का कारण
विशेषज्ञों का मानना है कि बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं, जीवन प्रत्याशा में वृद्धि और मृत्यु दर में कमी बुजुर्गों की बढ़ती आबादी के प्रमुख कारण हैं। खासतौर पर दक्षिणी राज्यों में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता ने जीवन को लंबा किया है।
सामाजिक और आर्थिक चुनौतियाँ
बुजुर्गों की बढ़ती संख्या अपने साथ कई सामाजिक और आर्थिक चुनौतियाँ भी ला रही है:
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स्वास्थ्य सेवाओं का दबाव: उम्रदराज लोगों के लिए जेरियाट्रिक केयर और विशेष अस्पतालों की जरूरत बढ़ रही है।
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पेंशन और सामाजिक सुरक्षा: बुजुर्गों को वित्तीय सुरक्षा देने के लिए सरकार को ज्यादा योजनाएँ लागू करनी पड़ रही हैं।
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अकेलेपन की समस्या: शहरों में न्यूक्लियर परिवारों के बढ़ने से बुजुर्गों में अकेलेपन और मानसिक तनाव की स्थिति सामने आ रही है।
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रोजगार और आर्थिक निर्भरता: अधिकांश बुजुर्ग अपनी आजीविका के लिए दूसरों पर निर्भर हैं, जिससे परिवार और सरकार पर आर्थिक दबाव बढ़ता है।
सरकार की पहल
भारत सरकार बुजुर्गों के लिए कई योजनाएँ चला रही है, जैसे:
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राष्ट्रीय वयोश्री योजना – ज़रूरतमंद बुजुर्गों को सहायक उपकरण उपलब्ध कराना।
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अटल पेंशन योजना – आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को पेंशन की सुविधा।
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वरिष्ठ नागरिक हेल्थ इंश्योरेंस योजनाएँ – स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च कम करने में मदद।
इसके अलावा, राज्य सरकारें भी अपने स्तर पर पेंशन और देखभाल योजनाएँ चला रही हैं।
भविष्य की तैयारी
विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत को अभी से “एजिंग पॉपुलेशन” के लिए तैयार होना होगा। आने वाले दशकों में बुजुर्गों का अनुपात और बढ़ सकता है। इसके लिए स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर, मानसिक स्वास्थ्य सेवाएँ, पेंशन सिस्टम और परिवार-आधारित सपोर्ट सिस्टम को मजबूत करना अनिवार्य होगा।
रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया की रिपोर्ट यह साफ करती है कि भारत तेजी से वृद्ध समाज की ओर बढ़ रहा है। जहां एक ओर यह बेहतर स्वास्थ्य और जीवन स्तर का संकेत है, वहीं दूसरी ओर यह सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों की चेतावनी भी है। खासकर केरल जैसे राज्यों से पूरे देश को सीख लेकर बुजुर्गों की देखभाल और सुरक्षा को प्राथमिकता देनी होगी।