ग्रैंड मुफ्ती बोले: “निमिषा प्रिया की मौत की सजा रद्द हुई” — पर दावा विवादित, आधिकारिक पुष्टि नहीं

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नई दिल्ली । 29 जुलाई 2025 । यमन की जेल में बंद भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की मौत की सजा पर संशय गहरा गया है। एक तरफ भारतीय ग्रैंड मुफ्ती कांथापुरम एपी अबूबकर मुसलियार के ऑफिस ने दावा किया है कि निमिषा प्रिया की पहले स्थगित की गई मौत की सजा को अब रद्द कर दिया गया है।

वहीं, दूसरी तरफ विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने निमिषा की सजा रद्द होने की जानकारियों को भ्रामक बताया है। उन्होंने कहा कि ये जानकारियां मौजूदा स्थिति को सही ढंग से नहीं दर्शातीं।

निमिषा प्रिया यमन में एक हत्या के मामले में मौत की सजा का सामना कर रही हैं। उसे जून 2018 में एक यमनी नागरिक की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था। इस मामले में उसे 16 जुलाई को मौत की सजा दी जानी थी। हालांकि, इससे पहले ही 15 जुलाई को निमिषा की सजा अस्थाई रूप से टाल दी गई थी।

भारत और यमन के धर्मगुरुओं ने बातचीत की थी

भारतीय ग्रैंड मुफ्ती कांथापुरम ​​​​​​एपी अबूबकर मुसलियार और यमन के चर्चित सूफी विद्वान शेख हबीब उमर बिन हाफिज ने 15 जुलाई को इस मसले पर बातचीत की थी। इसमें यमन के सुप्रीम कोर्ट के एक जज और मृतक का भाई भी शामिल था।

यमन के शेख हबीब को बातचीत के लिए मुफ्ती मुसलियार ने मनाया था। यह भी पहली बार था कि जब मृतक के परिवार का कोई करीबी सदस्य बातचीत को तैयार हुआ हो।

यह बातचीत शरिया कानून के तहत हुई थी। यह मृतक के परिवार को दोषी को बिना किसी शर्त के या फिर ब्लड मनी के बदले माफ करने का कानूनी अधिकार देता है।

यमन के नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या के मामले में फंसी भारत की नर्स निमिषा प्रिया को माफ करने से महदी परिवार ने इनकार कर दिया था।

CNBC की रिपोर्ट के मुताबिक महदी के भाई अब्देल फत्तह महदी ने सोशल मीडिया पर साफ कहा था कि मैं अपने भाई की हत्या के मामले में कोई माफी या समझौता नहीं चाहता।

महदी ने कहा, न्याय की जीत होगी ,भले ही सजा में देरी हो, लेकिन बदला लेकर रहेंगे। चाहे कोई भी कितना दबाव डाले या मिन्नतें करे, हम क्षमा नहीं करेंगे और ब्लड मनी (खून के बदले दी जाने वाली रकम) नहीं लेंगे।

BBC अरबी को दिए एक इंटरव्यू में भी महदी ने कहा था कि हम शरियत कानून के तहत ‘किसास’ (बदला) की मांग करते हैं। सिर्फ हत्या ही नहीं, बल्कि सालों चले इस केस ने भी हमारे परिवार को काफी नुकसान पहुंचाया है। इसलिए मुआवजे की कोई रकम नहीं लेना चाहते।

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