चेस FIDE विमेंस वर्ल्डकप फाइनल में पहली बार दो भारतीय
नई दिल्ली, दिव्या देशमुख के बाद विमेंस चेस FIDE वर्ल्ड कप में कोनेरू हम्पी फाइनल में पहुंच गई है। कोनेरू हम्पी ने सेमीफाइनल में टाई ब्रेकर में चीन की टिंगजी लेई को हराकर फाइनल में अपना स्थान पक्का किया। पहली बार होगा कि वर्ल्ड कप के फाइनल में दोनों ही खिलाड़ी भारतीय होंगे। यह टूर्नामेंट जॉर्जिया के बटुमी में खेला जा रहा है।
टाई ब्रेकर के शुरुआत में लेई को मिली सफलता टाईब्रेकर में 15-15 मिनट की दो बाजी अतिरिक्त समय के खेला जाता है। उसके बाद अगली दो टाईब्रेक बाजी 10-10 मिनट की होती है। लेई ने पहली बाजी जीतकर बढ़त बनाई लेकिन हम्पी ने मुश्किल स्थिति में होने के बावजूद दूसरी बाजी जीतकर मुकाबला फिर बराबर कर दिया।
टाईब्रेक बाजी के तीसरे सेट में हम्पी ने पहली बाजी में सफेद मोहरों से शुरुआत की और खेल के सभी विभागों में लेई को परास्त करते हुए इसे जीत लिया। पहली बाजी जीतने के बाद फाइनल में पहुंचने के लिए हम्पी को बस एक ड्रॉ की जरूरत थी और उन्होंने जीत हासिल करके खिताबी मुकाबले में जगह बनाई।
दोनों गेम ड्रॉ रहा था
इससे पहले दोनों गेम ड्रॉ रहे। जिसके बाद गुरुवार को टाई ब्रेकर का आयोजन किया गया। दूसरे गेम में हम्पी के पास सफेद मोहरे थे, लेकिन वह लेई के मजबूत बचाव को नहीं तोड़ पाईं।
दिव्या ने पूर्व वर्ल्ड चैंपियन तान झोंग्यी को सेमीफाइनल मुकाबले में 1.5-0.5 के अंतर से हराया। 19 साल की दिव्या ने सफेद मोहरों से खेलते हुए शानदार प्रदर्शन किया और 101 चाल में मात दी। दूसरे गेम में उन्हें सफेद मोहरों से खेलने का फायदा मिला। उन्होंने बीच के खेल में लगातार दबाव बनाया और तान झोंग्यी को गलतियां करने पर मजबूर कर दिया।
व्हाइट (दिव्या) क्वीन की अदला-बदली के साथ जीत की स्थिति में थी, लेकिन क्वीन को बोर्ड पर रखने से भी उनकी स्थिति बहुत मजबूत थी।इसके बाद झोंग्यी ने वापसी की और बढ़त ले ली।
समय की कमी में झोंग्यी ने गलत चाल चली, जिसके बाद दिव्या दो प्यादों की बढ़त के साथ आगे हो गईं। आखिरी गेम में झोंग्यी के पास ड्रॉ के कई मौके थे, लेकिन वह इन्हें भुना नहीं सकीं।
पहला गेम रहा था ड्रॉ पहले गेम में दिव्या ने काले मोहरों से खेला था। यह गेम ड्रॉ रहा था। दिव्या ने पहले गेम के शुरुआत में ही खेल को संतुलित करने की रणनीति अपनाई। झोंगयी ने ‘क्वीन्स गैम्बिट डिक्लाइन्ड’ ओपनिंग से खेल की शुरुआत की, जिसमें दिव्या ने लगातार मोहरे बदलते हुए संतुलन बनाए रखा। झोंगयी भी इस स्थिति से संतुष्ट दिखीं, जहां ब्लैक को थोड़ी सक्रियता मिली थी।
अंत में दोनों के पास एक-एक रूक और एक-एक छोटा मोहरा (बिशप/नाइट) के साथ तीन-तीन प्यादे एक ही हिस्से में रह गए, जिससे खेल ड्रॉ के अलावा कुछ और हो नहीं सकता था।
पहली बार भारत की चार महिला खिलाड़ी क्वार्टर फाइनल में पहुंची इस टूर्नामेंट में पहली बार भारत की चार महिला खिलाड़ी क्वार्टर फाइनल में पहुंची। कोनेरू हंपी के अलावा हरिका द्रोणवल्ली, आर. वैशाली और दिव्या देशमुख ने क्वार्टरफाइनल में अपना स्थान पक्का किया।