सीएम योगी पर बनी फिल्म: युवाओं के लिए प्रेरणा और संदेश

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नई दिल्ली, । 09 सितम्बर 2025 । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर आधारित एक नई फिल्म की चर्चा इन दिनों जोरों पर है। यह फिल्म सिर्फ उनके राजनीतिक जीवन की कहानी नहीं होगी, बल्कि उनके व्यक्तित्व, संघर्ष और मूल्यों के जरिए युवाओं को एक मजबूत संदेश भी देगी।

सीएम योगी आदित्यनाथ के जीवन पर बनी फिल्म ‘अजेय: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ ए योगी’ जल्द ही सिनेमाघरों में रिलीज होगी। फिल्म के डायरेक्टर रवींद्र गौतम ने हाल ही में दैनिक भास्कर से खास बातचीत की। डायरेक्टर ने बताया कि फिल्म युवाओं एक बड़ा संदेश देगी।

यह फिल्म सेंसर बोर्ड की आपत्तियों के कारण संकट में फंसी हुई थी। अब कोर्ट के आदेश पर सेंसर बोर्ड ने सर्टिफिकेट दे दिया है। डायरेक्टर रवींद्र गौतम ने यह भी बताया कि सीबीएफसी को योगी जी की तरफ से एनओसी चाहिए था, जबकि एनओसी मांगने का अधिकार उन्हें नहीं है।

यह फिल्म पूरी तरह से योगी आदित्यनाथ जी की जिंदगी से प्रेरित है। जब मैंने ‘द मॉन्क हू बिकेम चीफ मिनिस्टर’ किताब पढ़ी, तो मैं हैरान रह गया कि हमारे हिंदुस्तान की डेमोक्रेसी कितनी अनोखी है। सोचिए, एक छोटे से गांव का लड़का इतनी कम उम्र में घर-परिवार त्याग कर, देश के सबसे बड़े राज्य का मुख्यमंत्री बनता है।

जब 22 साल की उम्र में लड़के मस्ती करते हैं, तब योगी आदित्यनाथ समाज के लिए कुछ कर गुजरने की सोचते हैं। इस फिल्म में मैंने उनके कॉलेज के दिनों का व्यक्तित्व, उनकी सोच और वो मोड़ दिखाने की कोशिश की है जब उन्होंने संन्यास का रास्ता चुना। यह फिल्म युवाओं को भी एक बड़ा संदेश देती है।

इस फिल्म के लिए कभी योगी आदित्यनाथ से आपकी मुलाकात हुई?

नहीं, अभी तक उनकी व्यस्तता के कारण मेरी मुलाकात नहीं हो पाई है। लेकिन किताब से ही इतनी जानकारी मिल गई कि फिल्म बन सके। किताब के लेखक शांतनु गुप्ता हमारे साथ थे और उन्होंने हमें इस फिल्म को लेकर गाइड किया। वो योगी जी के बहुत करीब हैं।

फिल्म को लेकर विवाद भी हुआ। सेंसर बोर्ड को क्या आपत्ति थी?

हमें भी समझ नहीं आया कि सेंसर बोर्ड को क्या समस्या थी? जून में हमारे प्रोड्यूसर ने फिल्म सीबीएफसी को दी, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। फिर हमने तत्काल प्रक्रिया के तहत अप्लाई किया। स्क्रीनिंग की तारीख तय हुई और हमने फिल्म का प्रिंट भी निकाल लिया, तभी खबर आई कि फिल्म रिजेक्ट हो गई है। सीबीएफसी ने कहा कि हमें योगी जी की तरफ से एनओसी चाहिए।

हमने बताया कि हमारे पास किताब के अधिकार हैं और बाकी सारी चीजें लीगल तरीके से की गई हैं। जब हम कोर्ट गए तो कोर्ट ने भी यही पूछा कि सीबीएफसी को आखिर किस अधिकार से एनओसी चाहिए? फिर फिल्म एग्जामिनिंग कमिटी को दिखाई गई, उन्होंने 30 कट बताए, लेकिन उन्होंने ये नहीं कहा कि कट लगाने के बाद फिल्म को सबमिट करो, बस यह कहा गया कि इन सीन्स के कारण फिल्म रिजेक्ट की जाती है।

कोर्ट ने आदेश दिया कि कट्स की वजह से फिल्म रिजेक्ट न की जाए। फिर रिव्यू कमिटी ने भी इसे नहीं पास किया। अंत में खुद कोर्ट ने फिल्म देखी और उन्हें यह फिल्म पसंद आई। कोर्ट के आदेश पर सीबीएफसी ने हमें रिलीज का सर्टिफिकेट दिया।

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