गोबर से निर्मित पर्यावरण उत्पाद – दीये, पेंट

0 92

भारत में गाय का महत्व केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था और पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिकोण से भी अत्यंत अहम है। पारंपरिक रूप से गोबर का उपयोग ईंधन, खाद और घर की लिपाई-पुताई में किया जाता रहा है। लेकिन आधुनिक समय में वैज्ञानिक शोध और नवाचार के चलते गोबर से बने कई पर्यावरण उत्पाद सामने आ रहे हैं, जो न केवल ग्रामीण आजीविका को बढ़ावा दे रहे हैं बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहे हैं।

गोबर आधारित दीये

त्योहारों में मिट्टी के दीयों का महत्व तो है ही, लेकिन अब गोबर से बने दीये भी एक बड़ी पहचान बना रहे हैं। ये दीये हल्के होते हैं, जल्दी टूटते नहीं और उपयोग के बाद आसानी से मिट्टी में मिल जाते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि इनका निर्माण ग्रामीण महिलाओं और स्वयं सहायता समूहों द्वारा किया जाता है, जिससे उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलती है। गोबर के दीयों को सजावटी और पारंपरिक रूप में भी तैयार किया जा सकता है, जिससे इनकी मांग और बढ़ जाती है।

गोबर पेंट: एक नया आयाम

हाल के वर्षों में गोबर से निर्मित इको-फ्रेंडली पेंट काफी लोकप्रिय हुआ है। इसे भारतीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के तहत शुरू किया गया था। इस पेंट को “खादी प्राकृतिक पेंट” भी कहा जाता है। इसमें वॉशेबल और डिस्टेम्पर दोनों प्रकार के विकल्प उपलब्ध हैं।

  • यह पेंट पूरी तरह बायोडिग्रेडेबल और नॉन-टॉक्सिक है।

  • इसकी लागत सामान्य पेंट से कम होती है।

  • यह घरों की दीवारों को ठंडा रखने और बैक्टीरिया को दूर करने में भी मदद करता है।

अन्य उत्पाद: अगरबत्ती, खिलौने और सजावटी सामान

गोबर से अगरबत्ती, मूर्तियां, छोटे सजावटी शोपीस, गमले और बायोफर्टिलाइजर भी बनाए जा रहे हैं। गोबर की राख का उपयोग प्राकृतिक कीटनाशक के रूप में भी होता है। ग्रामीण स्तर पर इन उत्पादों की बड़ी श्रृंखला विकसित की जा सकती है, जिससे पर्यावरण को बिना नुकसान पहुँचाए रोज़गार के नए अवसर पैदा हों।

पर्यावरण संरक्षण और रोजगार

गोबर आधारित उत्पादों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इनसे कचरे का प्रबंधन और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण दोनों संभव होता है। दूसरी ओर, ये उत्पाद ग्रामीण स्तर पर स्वरोजगार को बढ़ावा देते हैं। महिलाएं, किसान और छोटे उद्यमी इनका उत्पादन कर आर्थिक लाभ उठा सकते हैं।

गोबर से बने दीये, पेंट और अन्य पर्यावरण उत्पाद भारत की सतत विकास यात्रा का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। यह पहल न केवल स्वच्छता और पर्यावरण संतुलन को मजबूत करती है, बल्कि ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी ठोस कदम है। भविष्य में यदि इन उत्पादों का बड़े पैमाने पर प्रचार-प्रसार किया जाए, तो यह भारत को पर्यावरण संरक्षण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था दोनों क्षेत्रों में नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकता है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.