बिहार में क्लासिकल-करप्शन!

करप्शन के दलदल में बिहार की राजग सरकार

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corruption in bihar government
बाबा विजयेन्द्र (स्वराज खबर, समूह सम्पादक)

नदी की धारा जब ठहर जाती है तब उससे कोई मिठास नहीं, बल्कि सड़ांध ही पैदा होती है। भाजपा जब बहाव में थी तब कुछ अलग ही दिखती थी। सामाजिक जीवन शुचिता से भरा हो इसकी कोशिश भाजपा लगातार करती रही इसलिए भाजपा सबसे अलग दिखती भी थी।
पहले शक्ति कम अवश्य थी, पर संभावना बड़ी थी। ‘पार्टी विद डिफर’ यानी सबसे अलग नजर आती थी भारतीय जनता पार्टी। समर्थक की चाहत होती थी कि कम से कम एक बार भाजपा की सरकार बन जाय तो देश और समाज का कायाकल्प हो जाएगा। बचपन में हम भी वाजपेयी का लालकिला से भाषण देने का सपना देखा करते थे। जनता ने उस सपना को पूरा भी किया। लालकिला से वाजपेयी का भाषण तो सुना, पर जिस स्पार्क की खोज थी वह खोज अधूरी ही रही। कहा यह गया कि भाजपा, सत्ता चलाने की स्वाभाविक पार्टी नहीं बन पायी है। इस कारण लगातार दस साल तक मनमोहन सिंह ने भाजपा को सत्ता से बाहर किए रखा।
यह बात सिद्ध होती नजर आई कि जो जाए लंका वही हो जाय रावण। चाहे कोई भी हो, सत्ता से बेदाग होकर कोई वापस नहीं आया। इन्हीं विसंगतियों के बीच भाजपा का नया हीरो पर्दा पर आता है और देश में छा जाता है। इस दौरान राजनीतिक घोषणाएं बहुत हुई। अगर उन घोषणाओं को थोड़ी भी पुख्ता जमीन मिलती तो भारत आज कहां से कहां पहुंच जाता? जादूगरी और बाजीगरी का कॉकटेल ऐसा बना कि देश बहुत पीछे चला गया। ऊपर मंगल था नीचे मुसलमान ही नजर आए।
आरोपों की बुनियाद पर राजग की सरकार बनी और आज उसी बुनियाद पर सरकार कलंकित भी हो रही है। खेल जब अवधारणा का हो तो अन्य आख्यान की जरूरत नहीं होती है। सच है कि भाजपा उत्साह में विवेक का नियंत्रण खोती जा रही है। भाजपा आगे पीछे, बाएं दाएं कुछ भी नहीं देख पा रही है। सत्ता! सत्ता!! और केवल सत्ता!!! इसके सिवाय कुछ भी नजर नहीं आता। सत्ता प्राप्ति के लिए पार्टी हर सीमा का उल्लंघन करती नजर आती है। क्रोनी-कैपिटलिज्म के आगोश में भाजपा दम तोड़ रही है। बातें कुछ भी कर ले पर ये तो बातें हैं इन बातों का क्या?
अपार शक्ति और समर्थन के बावजूद भाजपा अपना घोषित लक्ष्य पूरा नहीं कर पाया है।
भ्रष्टाचार के दलदल में भाजपा रोज फंसती नजर आ रही है। ताजा तरीन घटना बिहार की है। कैग ने चौंकाने वाली रिपोर्ट दिया है। यह रिपोर्ट है 71000 करोड़ के गबन का। यह आरोप किसी विपक्षी दल का नहीं, बल्कि इन्हीं के भोपू संस्थान यह कैग है। विपक्ष इसको लेकर हमलावर है। जब तक कि विपक्ष इसे लेकर आगे बढ़े भाजपा कोई नया मामला सामने ले आएगी। हर छोटे जख्म को खत्म करने के लिए बड़ा ज़ख्म सामने कर देना इसकी पुरानी आदत रही है। इस मुद्दे को भी निगल लेगी पार्टी, ऐसी उम्मीद की जा सकती है। जो भी हो जनमानस में भाजपा की साख लगातार ढीली होती जा रही है।

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