श्रीनगर की हजरतबल दरगाह में अशोक स्तंभ पर विवाद, मचा राजनीतिक और धार्मिक हंगामा

0 105

श्रीनगर ।  06 सितम्बर 25 । कश्मीर की प्रसिद्ध हजरतबल दरगाह में हाल ही में स्थापित अशोक स्तंभ को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। दरगाह परिसर में इस स्तंभ को लगाने के पीछे प्रशासन का तर्क था कि यह राष्ट्रीय धरोहर और भारत की पहचान का प्रतीक है। लेकिन स्थानीय धार्मिक संगठनों और कुछ राजनीतिक दलों ने इसे लेकर आपत्ति जताई है।

श्रीनगर की हजरतबल दरगाह में नवनिर्मित शिलापट्ट पर अशोक स्तंभ उकेरे जाने से विवाद खड़ा हो गया है। स्थानीय लोगों और नेताओं ने आपत्ति जताते हुए इसे धार्मिक भावनाओं के खिलाफ बताया।

शुक्रवार (5 सितंबर) की नमाज के बाद कुछ लोगों ने शिलापट्ट तोड़कर राष्ट्रीय प्रतीक हटा दिया। मस्जिद का हाल ही में रिनोवेशन किया गया था। इसका उद्घाटन जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड की चेयरपर्सन दरख्शां अंद्राबी ने किया था।

अंद्राबी ने इस घटना को संविधान पर चोट बताया। उन्होंने विरोध करने वालों को उपद्रवी-आतंकी करार दिया। साथ ही PSA के तहत कार्रवाई की मांग की। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों पर FIR दर्ज न होने पर वह भूख हड़ताल करेंगी।

हजरतबल दरगाह की पवित्रता और वक्फ बोर्ड के रवैए को लेकर घाटी में तीखी राजनीतिक बहस छिड़ गई है। नेशनल कॉन्फ्रेंस और अन्य विपक्षी दलों ने इसे धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ बताया है।

PDP नेता इल्तिजा मुफ्ती ने आरोप लगाया कि मुस्लिम समुदाय को जानबूझकर उकसाया जा रहा है।

कहा जाता है- हजरतबल में रखा है पैगंबर मोहम्मद का बाल

हजरतबल दरगाह जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में डल झील के उत्तरी किनारे पर बनी है। कहा जाता है कि यहां इस्लाम के पैगंबर हजरत मोहम्मद का बाल सुरक्षित रखा गया है। इस बाल को मुई-ए-मुकद्दस कहा जाता है। ​​​​​​यहां यह 1699 ईसवीं में लाया गया था। इसे विशेष अवसरों (जैसे ईद-ए-मिलाद-उन-नबी) पर आम जनता को दिखाया जाता है।

यह जगह 17वीं शताब्दी में बाग और हवेली थी। जिसे कश्मीर के गवर्नर सुलेमान शाह ने बनवाया था। इसे इशरत महल कहा गया। बाद में मुगल शहंशाह शाहजहां के बेटे दाराशिकोह ने इसका मस्जिद के रूप में जीर्णोद्धार करवाया।

राष्ट्रीय प्रतीकों के अपमान पर 3 साल की सजा

भारत में अगर कोई राष्ट्रीय प्रतीकों (ध्वज, गान, संविधान, प्रतीक) का अपमान करता है, तो उसे 3 साल तक की कैद या जुर्माना हो सकता है। BNS की धारा 124 के तहह राष्ट्रीय सम्मान का अपमान करने वाले व्यक्ति को 3 साल तक की कैद, जुर्माना या दोनों हो सकता है।

विवाद की शुरुआत कैसे हुई?
  • श्रीनगर प्रशासन ने हाल ही में दरगाह के आसपास सौंदर्यीकरण और पुनर्विकास कार्य के तहत अशोक स्तंभ लगाया।

  • स्तंभ पर अंकित अशोक चक्र और सिंह स्तंभ को राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में प्रदर्शित किया गया।

  • कुछ संगठनों का कहना है कि धार्मिक स्थल पर राष्ट्रीय प्रतीकों का इस्तेमाल धार्मिक भावनाओं से टकरा सकता है।

प्रशासन की सफाई

जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने बयान जारी करते हुए कहा है –

  • अशोक स्तंभ किसी धार्मिक हस्तक्षेप के लिए नहीं, बल्कि राष्ट्रीय गौरव और सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाने के लिए लगाया गया है।

  • यह सौंदर्यीकरण अभियान का हिस्सा है और इसका किसी धार्मिक आस्था से टकराव नहीं है।

  • अशोक स्तंभ सम्राट अशोक द्वारा स्थापित किए गए थे, जो शांति, सहिष्णुता और बौद्ध धर्म के प्रतीक माने जाते हैं।

  • आधुनिक भारत ने इसे राष्ट्रीय प्रतीक का दर्जा दिया है।

  • ऐसे में इसका किसी भी सार्वजनिक स्थल पर लगाया जाना भारत की पहचान को मजबूत करने वाला कदम माना जाता है।

हजरतबल दरगाह में अशोक स्तंभ विवाद यह दिखाता है कि धार्मिक और राष्ट्रीय पहचान के बीच संतुलन बनाए रखना बेहद जरूरी है। एक ओर यह भारत की एकता और इतिहास का प्रतीक है, वहीं दूसरी ओर स्थानीय भावनाओं का सम्मान भी उतना ही महत्वपूर्ण है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रशासन इस विवाद को किस तरह सुलझाता है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.