दैविक और भौतिक लक्ष्य प्राप्ति के लिए देसी गोवंश का संरक्षण जरूरी: स्वामी आत्मानंद

गायों ने भारत की धर्म संस्कृति को अपने दूध से सींचा

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स्वराज डेस्क। भारत ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में अपनी पहचान स्थापित की। विश्व का मार्गदर्शन किया और सभ्यता और संस्कृति का पाठ बढ़ाया। इस चिंतन-प्रक्रिया के मूल में हमारी गायों की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। गोष्ठी हो या कोई गवेषणा सारी चिंतन-प्रक्रिया हमारी गायों से ही जुड़ी हुई थी। ऐसा प्रतीत होता है कि गायों ने भारत की धर्म संस्कृति को अपने दूध से सींचा। हमारे विकास और विश्वास के साथ-साथ गाएं चलती रही। गाय की वाद नहीं है बल्कि एक संवाद है।
गाय यूं ही महत्वपूर्ण नहीं है। इसके पीछे गाय की कितनी महत्वपूर्ण भूमिका है इसे हमारी ऐतिहासिक-यात्रा में देखा जा सकता है। गो-संरक्षण अंतिम सत्य नहीं है, पर भारत की जीवंतता का लिए आवश्यक आवश्यकता अवश्य है। उपर्युक्त बातें गोसंरक्षण और संवर्धन अभियान के संरक्षक और संयोजक स्वामी आत्मानंद महाराज ने एक मुलाकात में बताई।
उन्होंने कहा कि कृष्णायन नाम से यह अभियान पूरे देश में चल रहा है। हमने भारत के हर प्रांत में गो-संस्कृति का शिलान्यास किया है। हजारों निराश्रित गाएं आज कृष्णायन में आकर सुरक्षित और संवर्धित हो रही हैं। इस अभियान को देश और देशांतर से व्यापक सहयोग मिल रहा है। स्वमना और स्वधर्मी समूह इस अभियान से जुड़कर क्षय होती धर्म और संस्कृति के तत्व को पुख्ता आधार प्रदान कर रहे हैं। भारत, गाय के बिना कृषि प्रधान देश कैसे बना रहेगा? सरकार भी इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। सरकार का प्रयास पर्याप्त तो नहीं है, पर इस दिशा में एक सकारात्मक अवश्य है।
स्वामी आत्मानंद ने कहा कि भारत के विकास में गाय की भूमिका पूरक और सहायक दोनो है। पूरी मनुष्यता आज रुग्णता का शिकार है। सच है कि जैविक-उत्पादों से ही जीवन बचेगा। और जैविक-उत्पाद का उपभोग गोधन के बिना संभव नहीं है। गाय का दूध छोड़िए, इसका गोबर और गोमूत्र भी खेती के लिए महत्वपूर्ण है।
जैविक-उत्पाद केवल खास जनों के लिए नहीं, बल्कि आमजनों के लिए भी सहज उपलब्ध हो। जब तक हमारा जीवन गाय से जुड़ा था तब तक हम शतायु होने का आशीर्वाद पाते थे। आज का युवा भारत दम तोड़ रहा है।
यह भावुकता का विषय नहीं है बल्कि हमारे अस्तित्व का विषय है। आने वाली पीढ़ी की रक्षा का प्रश्न है। हम सबको आगे आना चाहिए और कृष्णायन देसी गोरक्षा की कोशिश को अपना सहयोग और सहकार प्रदान करना चाहिए।

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