पशु-पोषण में आत्मनिर्भरता की मिसाल: कृष्णायन
कृष्णायन गौशाला केवल गौ-सेवा का केंद्र ही नहीं है, बल्कि यह पशु-पोषण में आत्मनिर्भरता का एक जीवंत उदाहरण भी प्रस्तुत करती है। आज जब पशुपालन और दुग्ध उत्पादन ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन चुके हैं, तब कृष्णायन ने अपनी योजनाओं और प्रबंधन के माध्यम से एक ऐसी प्रणाली विकसित की है, जो पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ आत्मनिर्भरता को भी बढ़ावा देती है।
गौशाला में पशुओं के लिए चारे की संपूर्ण व्यवस्था स्थानीय स्तर पर ही की जाती है। इसके लिए जैविक खेती, हरे चारे की वैज्ञानिक योजना और गौमूत्र आधारित खाद का प्रयोग किया जाता है। इससे न केवल पशुओं को संतुलित और पौष्टिक आहार मिलता है, बल्कि रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता भी कम होती है।
इसके अलावा, गौशाला में बने पशु-पोषण मॉडल से ग्रामीण समाज को भी प्रेरणा मिल रही है। यहां के गोपालक आधुनिक तकनीक और परंपरागत ज्ञान का संतुलित उपयोग कर पशु-स्वास्थ्य, दुग्ध उत्पादन और पर्यावरणीय संतुलन तीनों क्षेत्रों में सफलता पा रहे हैं।
कृष्णायन ने यह सिद्ध कर दिया है कि यदि योजना और समर्पण हो तो पशु-पोषण को आत्मनिर्भरता और टिकाऊ विकास का आधार बनाया जा सकता है। यह मॉडल पूरे देश के लिए एक आदर्श बनकर उभर रहा है।