देश में पहली बार शिक्षकों की संख्या 1 करोड़ पार: शिक्षा क्षेत्र में ऐतिहासिक उपलब्धि
नई दिल्ली। 29 अगस्त 2025 । भारत ने शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक मुकाम हासिल किया है। देश में पहली बार शिक्षकों (टीचर्स) की संख्या 1 करोड़ के पार पहुंच गई है। यह उपलब्धि न केवल शिक्षा व्यवस्था की मजबूती को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि भारत अब ज्ञान-आधारित समाज की ओर और तेजी से अग्रसर हो रहा है।
शिक्षा का बढ़ता विस्तार
पिछले कुछ वर्षों में केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया है।
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नई शिक्षा नीति (NEP 2020) के तहत शिक्षण की गुणवत्ता बढ़ाने पर जोर दिया गया।
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ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में शिक्षकों की संख्या बढ़ी है।
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सरकारी स्कूलों, निजी संस्थानों, उच्च शिक्षा विश्वविद्यालयों और तकनीकी संस्थानों में नई भर्ती ने इस रिकॉर्ड को संभव बनाया।
शिक्षकों की भूमिका
भारत में शिक्षा का महत्व हमेशा से रहा है और शिक्षक समाज की आत्मा माने जाते हैं।
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शिक्षक केवल किताबों का ज्ञान ही नहीं देते, बल्कि वे बच्चों के चरित्र, सोच और दृष्टिकोण को भी आकार देते हैं।
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1 करोड़ शिक्षकों की मौजूदगी का मतलब है कि अब अधिक से अधिक छात्रों तक शिक्षा पहुंच सकेगी।
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यह उपलब्धि देश में साक्षरता दर और कौशल विकास को और आगे बढ़ाएगी।
ग्रामीण और महिला शिक्षकों की बढ़ती संख्या
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सरकार के विशेष प्रयासों से ग्रामीण क्षेत्रों में भी शिक्षकों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है।
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महिला शिक्षकों की भागीदारी लगातार बढ़ रही है, जिससे शिक्षा में समानता और संवेदनशीलता आ रही है।
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प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर महिला शिक्षकों का योगदान खास तौर पर सराहनीय है।
चुनौतियाँ भी मौजूद
हालांकि संख्या बढ़ने से उपलब्धियाँ हासिल हुई हैं, लेकिन चुनौतियाँ भी बनी हुई हैं।
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कई जगहों पर अब भी शिक्षण की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठते हैं।
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आधुनिक तकनीक और डिजिटल शिक्षा से सभी शिक्षकों को जोड़ना एक बड़ी चुनौती है।
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शहरी और ग्रामीण शिक्षा के बीच की खाई को पाटना अभी बाकी है।
आगे की राह
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अब ज़रूरत है कि शिक्षकों की संख्या के साथ-साथ उनकी कौशल प्रशिक्षण और टेक्नोलॉजी अपनाने की क्षमता पर भी ध्यान दिया जाए।
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डिजिटल युग में स्मार्ट क्लासरूम और ई-लर्निंग को हर शिक्षक तक पहुँचाना होगा।
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शिक्षक-छात्र अनुपात को संतुलित रखते हुए शिक्षा को और समावेशी बनाना होगा।
शिक्षा में भारत का भविष्य
शिक्षकों की संख्या 1 करोड़ पार जाना इस बात का प्रतीक है कि भारत आने वाले समय में शिक्षा क्षेत्र में विश्व का नेतृत्व कर सकता है।
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अधिक शिक्षक = अधिक शिक्षा की पहुँच।
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बेहतर प्रशिक्षित शिक्षक = बेहतर भविष्य की नींव।
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यह उपलब्धि भारत को ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था की ओर ले जाएगी।
महिला शिक्षकों की संख्या तेजी से बढ़ी
ताजा रिपोर्ट बताती है कि 2023-24 के सत्र में कुल शिक्षक 98.83 लाख थे, जो अब 1 करोड़ 1 लाख 22 हजार 420 हो गए हैं। इनमें से 51% (51.47 लाख) शिक्षक सरकारी स्कूलों में हैं। एक दशक में महिला शिक्षकों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है।
2014-15 में पुरुष शिक्षक 45.46 लाख और महिला 40.16 लाख थीं, जो 2024-25 में बढ़कर क्रमश: 46.41 लाख और 54.81 लाख हो गई हैं। बीते दशक में महिला शिक्षकों की संख्या करीब 8% बढ़ने की बड़ी वजह इनकी भर्तियां हैं। 2014 से अब तक 51.36 लाख भर्तियों में से 61% महिला शिक्षकों की हुई हैं।
पीपुल-टीचर रेश्यो: अब 21 छात्रों पर एक शिक्षक, पहले 31 पर थे
- मिडिल स्तर पर 10 साल पहले एक शिक्षक के पास 26 छात्र थे, जो घटकर 17 रह गए हैं। सेकंडरी स्तर पर यह 31 से घटकर 21 रह गया है। यानी छात्र व शिक्षकों के बीच संवाद बेहतर हो रहा है। शिक्षकों के पास जितने कम छात्र होंगे, वे उन्हें ज्यादा समय दे पाएंगे।
- ड्रॉपआउट रेट घटा है। सेकंडरी पर 2023-24 में यह 10.9% था, जो 2024-25 में 8.2% बचा है। मिडिल स्तर पर यह 5.2% की तुलना में 3.5% और प्राथमिक पर 3.7% से घटकर 2.3% रह गई है।
- प्राथमिक पर रिटेंशन रेट 2023-24 में 85.4% से बढ़कर अब 92.4 % हो गया है। मिडिल पर 78% से बढ़कर 82.8%, तो सेकंडरी पर यह 45.6% से बढ़कर 47.2% हो गया है। सेकंडरी स्तर पर नामांकन दर बढ़कर 68.5% हो गई है।