ट्रम्प बोले – भारत पर टैरिफ लगा, शायद तब पुतिन मीटिंग को माने

0 51

वाशिंगटन  । 16 अगस्त 25 । अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने गुरुवार को कहा कि हो सकता है भारत पर लगाए गए भारी टैरिफ के कारण रूसी राष्ट्रपति पुतिन उनसे मिलने को तैयार हुए हों।

फॉक्स न्यूज रेडियो के साथ बातचीत में ट्रम्प ने कहा- हर चीज का कुछ न कुछ असर होता है। भारी टैरिफ की वजह से भारत ने रूस से तेल खरीदना लगभग बंद कर दिया।

ट्रम्प ने आगे कहा कि जब आप अपने दूसरे सबसे बड़े ग्राहक को खो देते हैं और शायद पहला सबसे बड़ा ग्राहक भी खोने वाला हों, तो मुझे लगता है कि इसका असर पड़ता है।

भारत, रूस से हर दिन 17.8 लाख बैरल कच्चा तेल खरीदता है, जो चीन के बाद सबसे ज्यादा है। ट्रम्प ने रूस से तेल खरीदने की वजह से भारत पर कुल 50% टैरिफ लगाया है।

ट्रम्प बोले- पुतिन के साथ मीटिंग फेल होने के 25% चांस

ट्रम्प ने इंटरव्यू के दौरान यह भी कहा कि अलास्का में शुक्रवार को रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ होने वाली उनकी बैठक के असफल होने की संभावना सिर्फ 25% है। फॉक्स न्यूज रेडियो से बात करते हुए ट्रम्प ने कहा कि यह बैठक असल में दूसरी बैठक की तैयारी है।

उनके मुताबिक, यूक्रेन पर रूस के हमले को खत्म करने का कोई समझौता इस बैठक में नहीं होगा, बल्कि वह समझौता एक दूसरी बैठक में होगा जिसमें यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की भी मौजूद होंगे।

ट्रम्प ने इससे एक दिन पहले पुतिन को चेतावनी दी थी कि अगर वो बातचीत के बाद भी जंग खत्म करने पर राजी नहीं होते हैं तो उन्हें गंभीर नतीजे भुगतने पड़ेंगे।

ट्रम्प और पुतिन 15 अगस्त को अलास्का में मिलने वाले हैं। इसका मकसद यूक्रेन में साढ़े तीन साल से चल रही जंग को खत्म करना है। दोनों नेता पहली बार अमेरिका की जमीन पर मिलेंगे।

जेलेंस्की ने जंग खत्म करने के बदले जमीन देने से इनकार किया

ट्रम्प ने बुधवार को ही यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की और यूरोपीय नेताओं के साथ वर्चुअल मीटिंग की थी। इस मीटिंग में ट्रम्प ने कहा कि जंग को खत्म करने के लिए दोनों पक्षों को जमीन की अदला-बदली करनी पड़ सकती है।

इस पर यूरोपीय नेताओं ने ट्रम्प को समझाने की कोशिश की कि 15 अगस्त को उनकी रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ होने वाली मुलाकात में ऐसा कोई समझौता न हो, जिससे यूक्रेन को नुकसान पहुंचे।

जेलेंस्की ने बैठक के दौरान कहा कि पुतिन धोखा दे रहे हैं। वो यह दिखावा कर रहे हैं कि पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों का उन पर कोई असर नहीं पड़ रहा हैं और ये कारगर नहीं हैं।

इसके बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में डोनबास क्षेत्र की जमीन रूस को सौंपने के सवाल पर जेलेंस्की ने साफ कहा कि वे अपनी जमीन नहीं छोड़ रहे हैं। पहले युद्धविराम होना चाहिए और फिर सुरक्षा की गारंटी मिलनी चाहिए।

Leave A Reply

Your email address will not be published.