गाय की पूजा क्यों होती है दीपावली और गोवर्धन पर्व पर?
भारतीय संस्कृति में गाय को केवल एक पशु नहीं, बल्कि ‘माता’ के रूप में देखा जाता है। गौ माता को वेदों, पुराणों और धार्मिक ग्रंथों में अत्यंत पवित्र और कल्याणकारी माना गया है। विशेष रूप से दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा के अवसर पर गाय की पूजा एक महत्वपूर्ण धार्मिक परंपरा बन चुकी है। यह केवल एक धार्मिक कर्मकांड नहीं, बल्कि भारतीय ग्राम्य जीवन, कृषि, पर्यावरण और आस्था का संगम है।
गाय का धार्मिक महत्व:
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वेदों में गाय को “अघन्या” (जिसे मारा नहीं जा सकता) कहा गया है।
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शास्त्रों में गाय को सभी देवताओं का निवास स्थान माना गया है।
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गाय से प्राप्त दूध, दही, घी, गोमूत्र और गोबर – इन पाँचों को मिलाकर पंचगव्य कहा जाता है, जो धार्मिक अनुष्ठानों में प्रयोग होता है।
गोवर्धन पूजा और गाय का संबंध:
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गोवर्धन पूजा का संबंध भगवान श्रीकृष्ण से है।
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मान्यता है कि जब इन्द्रदेव ने गोकुलवासियों पर भारी वर्षा का प्रकोप बरपाया, तब श्रीकृष्ण ने गायों और ग्वालों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठा लिया।
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इस दिन को कृष्ण की गोपाल लीलाओं और गौ-सेवा की स्मृति में मनाया जाता है।
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गाय की पूजा इस दिन गोवर्धन की तरह की जाती है, क्योंकि गाय ही गोवर्धन की आत्मा मानी गई है।
दीपावली पर गाय की पूजा क्यों?
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दीपावली पर विशेष रूप से धन, सुख और समृद्धि की कामना की जाती है।
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गाय को लक्ष्मी का रूप भी माना जाता है, क्योंकि वह सात्विक आहार, आरोग्यता और शुद्धता का स्रोत है।
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गाय के गोबर से घर की लिपाई, गोबर दीपक, गौमूत्र से शुद्धिकरण, और गौ-दान – ये सभी दीपावली की पूजा में शुभ माने जाते हैं।