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एक कवि, जिनकी कविता में ग्राम्य जीवन की संस्कृति बोलती है

जिस रचनाकार से मेरा परिचय होता है, उनका नाम है, राम जीवन शर्मा 'जीवन'। जिनकी कविता में ग्राम्य जीवन की संस्कृति बोलती है।

कितना बदल गया अब गांव!

परिवर्तन प्रकृति का नियम है। लेकिन वैसा परिवर्तन, जिससे गांव की मौलिक पहचान ही नष्ट हो जाए, स्वीकार्य नहीं होना चाहिए।

परस्परावलंबित गांव ही कर पाएंगे वैश्वीकरण की चुनौतियों का सामना

भारत गांवों का देश है। यहां के रीति-रिवाज, परम्परा, उन्नत संस्कृति और आपसी भाईचारे की भावना गांव की पहचान रही है। वैश्वीकरण के वर्तमान दौर में गांव की वह पहचान मिटने लगी है। आपसी रिश्तों में दरारें पड़ चुकी हैं।