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आ, अब लौट चलें प्रकृति की गोद में

कुत्सित भाव हमें अपनी ममतामयी मां, प्रकृति की गोद से धीरे-धीरे दूर करता चला गया। हम भूल गये प्रकृति मां की लोड़ियां और थपकियां दे-दे कर हमें चैन की नींद सुलाना।