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Sharda Sinha

छठ के प्रवाह में

हवा में छठ की धमक है। दूकानों में शारदा सिन्हा के स्वर गूंज रहे हैं। यों लोक स्वर साम्राज्ञी खुद नहीं रही। जाने की तिथि उन्होंने चुनी भी छठ की।