बालासोर से कोणार्क के रास्ते ने कई छोटे-छोटे पहाड़ों, नदियों और हरे-भरे खेतों से रूबरू करवाया। इस यात्रा ने जीवन के पुराने पन्ने पलटने पर मजबूर कर दिया।
एक ऐसी दुनिया, जहाँ लोगों की आवाज़ न केवल सुनी जाती है, बल्कि वह सीधे तौर पर इस बात को प्रभावित करती है कि संसाधनों का प्रबंधन कैसे हो, करों का आवंटन कैसे किया जाए, और सार्वजनिक सेवाओं का वितरण कैसे किया जाए।