NEWS कलम चाह ले तो सियासत को पछाड़ सकती है The Dialogue Jan 9, 2025 0 आज के अधिकांश कलमकार समझौतावादी बन चुके हैं। उनकी कलम शोषितों-पीडितों की पीड़ा को अब आवाज नहीं देती।