कीटनाशक और रसायनिक खाद के इस्तेमाल से न केवल धरती बर्बाद हुई, बल्कि बारिश के कारण गंगा नदी में कीटनाशकों और खाद घुलने लगा, जो गंगा के दुश्मन बन बैठे हैं।
हरित क्रांति से देश खाद्यान्न उत्पादन मामले में आत्मनिर्भर ही नहीं, निर्यात करने की स्थिति में आ गया। लेकिन अन्नदाता किसानों का क्या हुआ ? वे लगातार फटेहाल रहने लगे।