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न्यायपालिका के फैसले और सामाजिक दरिंदगी

जस्टिस राम मनोहर मिश्र ने 11 साल की बच्ची के संदर्भ में फैसला सुनाया है कि बच्ची के निजी अंग पकड़ना और नाड़ा तोड़ना दुष्कर्म की कोशिश नहीं है।

दलित, संन्यासी और धनपशु

चोरी के प्रमाण नहीं हैं, संदेह है और तीन बच्चों को शारीरिक और मानसिक पीड़ा दी गई। गाँव के कुछ लोगों का आज भी कोर्ट चलता है। उनके पास कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका तीनों है। रहे देश में लोकतंत्र!