कीटनाशक और रसायनिक खाद के इस्तेमाल से न केवल धरती बर्बाद हुई, बल्कि बारिश के कारण गंगा नदी में कीटनाशकों और खाद घुलने लगा, जो गंगा के दुश्मन बन बैठे हैं।
गंगा के मुँह को टिहरी ने बांध दिया है और पूछ को फ़रक्का बराज ने। गंगा दोनों के बीच दम तोड़ रही है। गंगा जब गंगोत्री की ओर से उतरती है तो पूरी की पूरी टिहरी में समा जाती है।